Dusron ke peeche mat bhago Swami Vivekananda Ki Hindi Kahani : हम सभी जानते हैं कि हमारे जीवन में यदि हमें लक्ष्य की प्राप्ति करनी है तो वह सिर्फ हम खुद ही कर सकते हैं। हम यदि किसी के कहने में चलते हैं यदि हम किसी व्यक्ति के पीछे भागते हैं या फिर यदि किसी भी चीज के पीछे भागते हैं। तो वह हमें कभी भी प्राप्त नहीं हो सकती ।जब तक हम सही दिशा में सही तरीके से किसी चीज को पाने के लिए मेहनत ना करें ।
इस बात को कहीं ना कहीं लोग बिल्कुल भी नहीं समझते वह दूसरों के कहे अनुसार चलते रहते हैं और अपना रास्ता खुद बनाने में लोग आजकल बिल्कुल भी विश्वास नहीं करते हैं। यहीं कहीं ना कहीं वह मात खाते हैं तो आज के इस कहानी संग्रह में हम आप लोगों के लिए Swami Vivekananda के जीवन से जुड़ी एक ऐसी कहानी को लेकर आए हैं जिसमें आप लोग जान जाएंगे कि कैसे Swami Vivekananda ने एक छोटे से किससे से छोटी सी कहानी से एक व्यक्ति के जीवन को पूरी तरह से बदल दिया ।
हमें भी अपने जीवन काल में यह सीख लेनी बहुत ज्यादा जरूरी है क्योंकि यदि हम अपने जीवन में उस सीख को ले लेते हैं तो हमारे लिए भी बहुत आसान हो जाता है लक्ष्य को प्राप्त करना तो चलिए हम जानते हैं इस कहानी में Swami Vivekananda ने उस आदमी को क्या सीख दी।
एक बार की बात है Swami Vivekananda रोज की दिनचर्या के हिसाब से सुबह-सुबह अपने आश्रम में अपने पालतू कुत्ते को घुमा रहे थे । पालतू कुत्ते को घुमाते घुमाते स्वामी विवेकानंद रोज की तरह ध्यान अवस्था में थे । वह उस वक्त में ना तो किसी से ज्यादा बोला करते थे और ना वह ज्यादा किसी से बात करते । वह अपने मन को शांत रखने के लिए शांत रहते हुए अपने आसपास की चीजों को महसूस करते थे।
उस वक्त में जिस वक्त में वह अपने कुत्ते को घुमा रहे थे तभी एक आदमी उनके पास दौड़ा दौड़ा आया और उनसे अपनी परेशानी का हल पूछ रहे हैं। ना वह आदमी स्वामी विवेकानंद के पैरों में पड़ गया और कहने लगा कि स्वामी ने अपने जीवन से बहुत परेशान हूं मेरे जीवन में कुछ भी सही नहीं हो रहा मैं रोज पुरुषार्थ करता हूं ।पर मेरे जीवन में कुछ भी मुझे प्राप्त नहीं हो रहा मैं बहुत मेहनत भी करता हूं।
मैं हर किसी व्यक्ति की बात सुनकर वैसे ही अपने काम को करने का प्रयास करता हूं पर मुझे किसी भी प्रकार सफलता नहीं मिल रही । मैं अपने जीवन से बहुत ज्यादा परेशान हो गया हूं आप ही मुझे कोई मार्ग दिखाइए। मैं हमेशा भगवान से यही प्रार्थना करता हूं कि मेरा भी कुछ कीजिए और मुझे भी सफलता प्राप्त होनी चाहिए मैं हमेशा उनसे शिकायत करता हूं कि मुझसे ऐसी क्या भूल हो गई कि आप ने मुझे किसी प्रकार का कोई भी सुख मेरे जीवन में नहीं दिया।
स्वामी विवेकानंद ने बहुत शालीनता के साथ उस व्यक्ति के परेशानी को सुना और Swami Vivekananda फिर से अपने ख्यालों में खो गए । स्वामी विवेकानंद ने उस व्यक्ति से कहा कि तुम मेरे इस पालतू कुत्ते को थोड़ी दूर तक घुमा लाओ और जब तुम लौट कर आओगे तब मैं तुम्हारे प्रश्नों का जवाब दूंगा और तुम्हारी समस्याओं का हल भी तुम्हें मिल जाएगा।
व्यक्ति ने जब यह बात सुनी तो उसे थोड़ा अटपटा लगा पर फिर भी उसने बिना कुछ सवाल किए हुए स्वामी विवेकानंद की बात को मान लिया। वह उनके कुत्ते को घुमाने के लिए ले गया थोड़े वक्त बीत जाने के बाद भी व्यक्ति उस कुत्ते को लेकर आया तो कुत्ता बहुत ज्यादा थका हुआ दिख रहा था।
वह व्यक्ति बहुत शांत और बिना थका हुआ Swami Vivekananda ने उस व्यक्ति से पूछा कि तुम उस कुत्ते के समान है चले हो पर फिर भी यह कुत्ता क्यों ज्यादा थका हुआ दिख रहा है । तुम इतने शांत क्यों लिख रहे हो इस बात का उत्तर देते हुए उसने कहा कि स्वामी जब-जब कोई भी और जानवर इस कुत्ते को देखता यह उसके पीछे भागने लग जाता और अधीर हो जाता था और इसी की वजह से शायद ज्यादा थका हुआ है ।
Swami Vivekananda ने मुस्कुराते हुए कहा कि यह तुम्हारे सवालों का उत्तर ही तो है तुम भी लोगों की बातें सुनकर उनके पीछे भागने लगते हो । जबकि तुम्हें यह कार्य करना चाहिए कि अपने लक्ष्य की प्राप्ति करने के लिए तुम्हें अपने साथ में अपने चेहरे को रखना चाहिए । उसी को रखते हुए अपने लक्ष्य पर ध्यान देना चाहिए तुम्हें किसी भी व्यक्ति की कोई बात नहीं सुननी चाहिए।
क्योंकि तुम्हारा लक्ष्य सिर्फ तुम्हारा है और तुम्हें अपने हिसाब से उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मेहनत करनी चाहिए पर तुम उस मेहनत को करने की बजाय दूसरों को देखकर दुखी हो रहे हो और दूसरों के कहे अनुसार अपने जीवन को चला रहे हो इसी की वजह से तुम बहुत ज्यादा परेशान हो।
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FAQ Related To Dusron ke peeche mat bhago Swami Vivekananda Ki Hindi Kahani
When did Swami Vivekananda changed his name to Vivekanand ?( स्वामी विवेकानंद ने अपना नाम विवेकानंद कब बदला?)
Swami Vivekananda ने शिकागो धर्म सम्मेलन से पहले अपना नाम बदला उससे पहले उनका नाम स्वामी विविधिशानंद था।
What was the favourite meal of Swami Vivekananda?( स्वामी विवेकानंद को क्या खाना पसंद था?)
Swami Vivekananda को खिचड़ी खाना बहुत पसंद था।
Final Words For Dusron ke peeche mat bhago Swami Vivekananda Ki Hindi Kahani
हमें इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी दूसरों के पीछे नहीं भागना चाहिए हमें अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए स्वयं ही तैयारी करनी चाहिए और अपने दिमाग को एक जगह केंद्रित करके अपने ध्यान को एक जगह केंद्रित करके ही अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहिए । हमें अपने जीवन काल में इस बात का ध्यान देना बहुत जरूरी होता है कि यदि हम नियमित तौर पर अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए मेहनत करते हैं तभी हमें सफलता मिलते हैं अन्यथा हमें सफलता नहीं मिलती।