Maa Ki Mahima Swami Vivekananda Ki Hindi Kahani : हम सभी इस बात से वाकिफ हैं कि स्वामी विवेकानंद का चरित्र कितना साफ़ और कितना अच्छा था और हम अपने जीवन में उन से काफी ज्यादा चीजें सीख भी सकते हैं । हम यह भी जानते हैं कि स्वामी विवेकानंद अपनी माता से बहुत प्रेम करते थे और वह अपनी माता की इज्जत भी बहुत करते थे ।
हमें कहीं ना कहीं सब को भी अपनी माता की इज्जत करनी ही चाहिए क्योंकि हमारी माता एक ऐसा रूप है जो भगवान का ही रूप रहे उन्हें तो गलत नहीं होगा। इतनी सहनशीलता से वह हमें पालती हैं । इतनी सहनशीलता से हमारे सारे काम करतीं हैं । हमारे लिए अपने आप को भी भूल जाते हैं।
तो आज की इस कहानी के माध्यम से हम आप लोगों को यह बताने का प्रयास करेंगे कि क्यों हमें अपनी मां की इज्जत कहीं गुना ज्यादा करनी चाहिए किसी भी व्यक्ति से । इस कहानी में मां के महत्व को बताते हुए स्वामी विवेकानंद ने एक व्यक्ति को ऐसा पाठ पढ़ाया जो कि जीवन में सबको पढ़ना चाहिए और समझना चाहिए। तो चलिए बिना किसी देरी के कहानी की शुरुआत करते हैं और जानते हैं कि इस कहानी में कैसे स्वामी विवेकानंद ने एक व्यक्ति को यह सिखाया की मां की महिमा क्यों सबसे ज्यादा होती है।
हम सभी जानते हैं कि मां एक ऐसा रूप है भगवान का या फिर भगवान के द्वारा बनाया गया एक ऐसा अविस्मरणीय रूप है जो हर तरह से हमें यह बात सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि कोई व्यक्ति इतना सहनशील कैसे हो सकता है । तो एक बार की बात है Swami Vivekananda के पास में एक व्यक्ति आया और उसने स्वामी विवेकानंद से यह सवाल किया कि स्वामी मां की महिमा सबसे ज्यादा क्यों होती है ????और ऐसा क्यों कहा जाता है कि मां का स्थान सबसे ऊपर होना चाहिए या होता है।
विवेकानंद ने यह सवाल बड़ी गंभीरता से सुना और उनके चेहरे पर मुस्कान आ गई। स्वामी विवेकानंद ने बिना कुछ कहते हुए बिना कुछ समझाते हुए उस व्यक्ति से कहा कि तुम जाकर कहीं से 5 किलो का पत्थर लेकर आओ और उस पत्थर को लाने के बाद अपनी पीठ पर बांध लो ।
शर्त यह है कि तुम्हें 24 घंटे तक उस पत्थर को बांधे रखना है और उसको बांधे बांधे ही तुम्हें अपने दिनचर्या के सारे काम करने है और उसके बाद तुम्हें मेरे पास आना है तब मैं तुम्हें इस प्रश्न का उत्तर दूंगा कि मां की महिमा सबसे ज्यादा क्यों है। उस व्यक्ति ने Swami Vivekananda की बात मान ली और वह 5 किलो का पत्थर कहीं से ढूंढ कर लाया उसे कपड़े में लपेटा और उसने उस पत्थर को अपने पेट से बांध लिया।
वह उस पत्थर को बांदे बांदे अपने घर की ओर चल दिया और उसने उस पत्थर को बांधे हुए ही अपने दिन के सारे काम करने की शुरुआत की। शुरुआती दौर में वह बहुत ज्यादा महसूस नहीं कर रहा था थकावट पर धीरे-धीरे जैसे दिन बड़ा उसको थकावट महसूस होने लगी। उसके काम रोज की अपेक्षा आज बहुत कम हो रहा था और बहुत धीरे हो रहा था । उसे समझ नहीं आ रहा था कि Swami Vivekananda ने उसकी पेट पर वह 5 किलो का पत्थर क्यों बंद वाया है।
शाम होते होते वह इस बात से बहुत ज्यादा परेशान हो गया और उसने यह फैसला किया है Swami Vivekananda के पास जाएगा और शाम को ही उनसे इसका उत्तर लेगा। वह व्यक्ति Swami Vivekananda के पास पहुंचा और उसने सवाल किया कि स्वामी आपने मुझसे ऐसा क्यों कहा मुझसे ना तो दिन का काम हो रहा है और ना मैं अच्छे से दिमाग लगाकर किसी भी काम में अपना मन लगा पा रहा हूं । मेरा सारा ध्यान इसी में लगा हुआ है।
Swami Vivekananda इस बात पर मुस्कुराए और उन्होंने कहा कि तुम कुछ घंटे इस कष्ट को नहीं खेल पाए और हमारी मां तो हमें 9 महीने तक हमारे जन्मने तक हमें पेट में रखते हैं । वह सारे काम उन 9 महीने में करती है और एक भी बार इस चीज की शिकायत नहीं करते तो अब तुम ही मुझे उत्तर दो कि ऐसा और कौन व्यक्ति कर सकता है।
तो क्या सबसे ज्यादा महिमा मां की होनी चाहिए या नहीं होनी चाहिए स्वामी विवेकानंद की यह बात सुनकर वह चुप हो गया और उसे पूरी तरह से बात समझ में आ गई कि मां की महिमा सबसे ज्यादा क्यों होनी चाहिए। Swami Vivekananda ने उत्तर दिया कि हमारी माता सबसे ज्यादा सहनशील व्यक्ति होती हैं और हमें इस बात की इज्जत करनी चाहिए और हमें अपनी माता की इज्जत करनी चाहिए इस पाठ को पढ़कर व्यक्ति वहां से चला गया और उसके बाद में उसको यह बात समझ में आ गई थी क्यों मां का दर्जा सबसे ऊंचा दिया गया है।
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FAQ Related To Maa Ki Mahima Swami Vivekananda Ki Hindi Kahani
Where did Swami Vivekananda Born ?( स्वामी विवेकानंद का जन्म कहां हुआ था ?)
स्वामी विवेकानंद का जन्म कोलकाता में हुआ था।
Who was the teacher of Swami Vivekananda?( स्वामी विवेकानंद के गुरु कौन थे?)
स्वामी विवेकानंद के गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस थे।
Final Words For Maa Ki Mahima Swami Vivekananda Ki Hindi Kahani
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मां की महिमा हमेशा ऊपर ही होती है और हमें इस चीज का ध्यान देना बहुत जरूरी होता है कि हमें अपनी माता की इज्जत करनी बहुत जरूरी होती है । क्योंकि उन्हीं की वजह से हम इस दुनिया में आते हैं और वह बहुत ज्यादा सहनशीलता रखते हुए हमें पालती हैं पूछते हैं तो इसी की वजह से मां की महिमा सबसे ऊंची होती है।