Shravan Kumar story : जब भी भारतीय संस्कृति में बात उठती है एक अच्छे बेटे की तो एक नाम सबकी जुबान पर आता है और वह नाम है श्रवण कुमार जी हां बिल्कुल सही सुना आपने श्रवण कुमार का नाम आते ही हमारे दिमाग में उनकी वह कहानी कौन टूटती है जिसमें वह अपने माता-पिता को पूरी तरह से समर्पित होकर यात्रा करवाते हैं और आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आप लोगों को बताएंगे कि श्रवण कुमार से संबंधित वह कौन से ऐसे फैक्ट्स हैं जिनके बारे में आप लोगों को नहीं पता और इसी आर्टिकल के माध्यम से हम आप लोगों को बताएंगे कि श्रवण कुमार की वह कौन सी कहानी थी जिसको लोग याद करते हैं।
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Who was Shravan Kumar ?( Shravan Kumar कौन थे ?)
Shravan Kumar story : श्रवण कुमार पौराणिक युग में शांतनु नामक एक सिद्ध साधु के पुत्र थे जिनकी पत्नी भी एक सिद्ध धर्म परायण नारी थी ऐसा कहा जाता है जब शांतनु और उनकी पत्नी जब रद्द हो चुके थे तो उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी और उसी वक्त सावन कुमार ने उनको यात्रा करवाई थी।
Story Of Shravan Kumar ( श्रवण कुमार की कहानी)
Shravan Kumar story: इस कहानी की शुरुआत जब होती है कि शांतनु नामक एक साधु साधु जैसा कि हमने आपको पर भी बताया वह श्रवण कुमार के पिता थे और उनकी माता भी जब वृद्ध हो चली थी तब वे दोनों के पुत्र श्रवण कुमार ने उनकी सेवा करने का फैसला किया वह पूरे जीवन भर अपने माता-पिता की सेवा करते हुए ही निकाल चुके थे। जैसे-जैसे श्रवण कुमार के माता-पिता वृद्ध होते जा रहे थे वह अपने माता-पिता का लालन-पालन बच्चों की तरह करने लगे मांग के माता-पिता
Shravan Kumar story: अपने आपको बहुत ज्यादा गौरवशाली महसूस करते थे क्योंकि उन्हें श्रवण कुमार जैसा पुत्र मिला और सबसे अच्छी बात श्रवण कुमार की यह थी कि जब भी उनके माता-पिता यह बात कहते थे तो वह उनको बस यही जवाब देते थे कि मैं कुछ भी नहीं कर रहा हूं यह मेरा कर्तव्य है।
Shravan Kumar story: एक समय की बात है जब पुत्र श्रवण कुमार ने अपने माता पिता से पूछा कि आपके दोनों की जो भी इच्छा है आप मुझसे कहिए मैं उसे अवश्य पूरा करूंगा इस इच्छा के बारे में सुनकर उनके माता-पिता ने श्रवण कुमार से आग्रह किया कि वह तीर्थ यात्रा पर जाना चाहते हैं क्योंकि वे वृद्ध हो चले हैं और उनकी उम्र का अब कोई भरोसा नहीं
Shravan Kumar story: इस बात को सुनकर श्रवण कुमार ने अपने माता-पिता के चरण स्पर्श करते हुए कहा कि हां माता-पिता मैं आपको जरूर तीर्थ यात्रा पर लेकर जाऊंगा और इसी की वजह से श्रवण कुमार ने एक कावड़ तैयार किया जिसमें एक तरफ शांतनु थे और दूसरी तरफ उनकी पत्नी बैठी थी और कावड़ को अपने कंधों पर लादकर श्रवण कुमार यात्रा पर निकल गए थे।
Shravan Kumar story: उस वक्त तीर्थ यात्रा करते करते श्रवण कुमार अयोध्या नगरी पहुंचे और तीर्थ यात्रा करते करते उनके माता-पिता को प्यास लगी और उन्होंने श्रवण कुमार से पानी लाने को कहा सुनील कुमार ने कावड़ को जंगल में रखकर हाथ में पत्तों का पात्र बनाकर सरयू नदी से जल लेने के लिए वह आगे बढ़े उस वक्त राजा दशरथ शिकार पर निकले हुए थे घने जंगल और झाड़ियों के बीच सरयू नदी के पानी में हलचल की आवाज सुनकर उन्होंने तीर चला दिया और वह हिरण समझकर जो तीर चलाया था उन्होंने वह तीर श्रवण कुमार के ह्रदय को आघात पहुंचाता हुआ उनके मुंह से पीड़ा भरी आवाज निकालता हुआ उन्हें मृत्यु की ओर
ले गया और जैसे ही राजा दशरथ को इस बात का आभास हुआ तो वह भागकर श्रवण कुमार के पास गए और उन्होंने अपनी गलती का एहसास करते हुए क्षमा मांगी और अंतिम सांस लेते हुए शरण कुमार ने दशरथ को अपने वृद्ध माता-पिता के बारे में बताया और उनसे कहा कि वह प्यासे हैं उनकी प्यास बुझा दीजिए।
Shravan Kumar story: जैसे ही पानी लेकर राजा दशरथ श्रवण कुमार के माता पिता के पास पहुंचे तो उनके माता-पिता ने पूरी घटना जानने का आग्रह किया और पूरी घटना बताते हुए राजा दशरथ की आंखों में आंसू आ गए और अपने पुत्र की मृत्यु की बात सुनकर उनके माता-पिता भी बहुत ज्यादा परेशान हो गए और जोर-जोर से विलाप करने लगे और इस विलाप Shravan Kumar story: देखकर राजा दशरथ ने उनसे शमा याचना की और दुखी पिता शांतनु महाराज ने राजा दशरथ को श्राप देते हुए यह कहा कि
मैं शांतनु पुत्र वियोग में मर लूंगा और उसी प्रकार तुम भी पुत्र वियोग में मरोगे इतना कहकर दोनों माता-पिता ने अपना शरीर त्याग दिया और इसी की वजह से आप यह कह सकते हैं उसी शॉप का असर था कि राजा दशरथ की मृत्यु भी पुत्र के वियोग में ही हुई क्योंकि उस वक्त श्री राम माता सीता और लक्ष्मण जी को 14 वर्षों का वनवास स्वीकार करना पड़ा था और अंतिम दिनों में वह शांतनु के कहे शब्दों को भी याद करते थे ।
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Final Words
हम आशा करते हैं कि आप लोगों को यह कहानी पसंद आई होगी अपना कीमती वक्त निकालकर इसे पढ़ने के लिए धन्यवाद!