50 amazing Life-Changing Stories: Raja Parikshit Story Hindi Kahani

Raja Parikshit Story Hindi Kahani : तो आज के 50 अमेजिंग लाइफ चेंजिंग कहानी के संग्रह में हम आप लोगों के लिए एक ऐसी ही दिलचस्प कहानी लेकर आए हैं जिसका नाम है राजा परीक्षित की कहानी जी हां राजा परीक्षित जो की महाभारत की कथा में बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा बने और आज की इस कहानी के माध्यम से हम आप लोगों को उन्हीं के बारे में बताने जा रहे हैं

Raja Parikshit Story Hindi Kahani

आज दिलचस्प कहानी में हम आप लोगों को महाभारत से जुड़ा एक ऐसा कैसा बताएंगे जिसको जानकर आप भी मन में थोड़े से परेशान हो सकते हैं हमें इस कहानी से बहुत गहरी सीख भी मिलती है कि हमें कभी भी छल कपट नहीं करना चाहिए और इसी की वजह से हमें यह कहानी बेशक सुननी चाहिए और बिना किसी देरी के चलिए इस कहानी की शुरुआत करते हैं।

Raja Parikshit Story Hindi Kahani

के कहानी महाभारत के युद्ध की है जब अश्वत्थामा ने द्रौपदी के पांचों पुत्र को मार दिया था अश्वत्थामा के पांचों पुत्रों के मरने के बाद द्रौपदी बड़ा क्रोध में थी और वह जानकारी पाते ही अश्वत्थामा का बुरा चाहने लगे थी और उन्होंने प्रण लिया था कि वह अनशन पर बैठेंगे और जब तक अनशन नहीं तोड़ेंगे जब तक उनके सिर पर लगी मणि उन्हें नहीं मिल जाती जब अर्जुन को इसकी जानकारी हुई तो अश्वत्थामा से वह युद्ध करने चले गए

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और अश्वत्थामा ने अर्जुन से युद्ध करते हुए ब्रह्मास्त्र निकाल लिया अर्जुन ने ब्रह्मास्त्र के बचाव के लिए अपना ब्रह्मास्त्र निकाल लिया यह देख नारद मुनि उनके सामने प्रकट हुए नारद मुनि ने आग्रह किया कि वह ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल ना करें अर्जुन ने तो नारद मुनि की बात मान ली पर अश्वत्थामा ने ऐसा नहीं किया और अश्वत्थामा ने वह ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया जिसका मुंह उन्होंने अभिमन्यु की पत्नी जो की गर्भवती थी उस वक्त में उनकी ओर कर दिया अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के पुत्र का जन्म होना तय है था

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क्योंकि नियति में लिखा जा चुका था और इस पर क्रोधित हुए श्री कृष्ण भगवान ने अश्वत्थामा को श्राप दिया कि तुम 3000 साल तक इस ही जीवन में पढ़ते रहोगे तुम्हारा खून तुम्हारे शरीर से बेहतर रहेगा तुम्हारे शरीर में भिन्न-भिन्न प्रकार की बीमारियां लगी जाएंगी पर उत्तरा का पुत्र तो इस जन्म में पैदा होकर ही रहेगा क्योंकि वह यदि मित्र भी पैदा होता है

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तो मैं उसे जीवनदान दूंगा यह बात सुनकर अश्वत्थामा घबरा गए पर ब्रह्मास्त्र एक बार जा चुका होता है तो वह रुकते नहीं है अश्वत्थामा का ब्रह्मास्त्र उत्तरा के गर्भ में जा लगा और ब्रह्मा अस्त्र की वजह से उतरा को कष्ट हुआ

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जब अश्वत्थामा को श्राप मिला तो अर्जुन ने सुदामा को रस्सी से बांध और वह द्रौपदी के पास उन्हें ले गए और सुदामा की हालत देखकर द्रौपदी को दया आ गई और उन्होंने उसे छोड़ने को कहा जो पति के इशारे पर अर्जुन ने सुदामा को छोड़ तो दिया पर श्री कृष्ण के कहने पर जिन्हें वह मणि निकाल ली जो कि अश्वथामा के सिर पर लगी हुई थी वजह से उत्तरा के गर्भ में बहुत दर्द हो रहा था और वह जोर-जोर से चिल्लाने लगे इसको देखते हुए कृष्ण भगवान ने अपना छोटा रूप धारण किया

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और वह उत्तरा के गर्भ में जा खड़े हुए और उन्होंने ब्रह्मास्त्र से हो रही पीड़ा को कम करने का प्रयास किया अंत में उत्तरा का पुत्र हुआ पर वह मृत था उसको देख सब रोने लगे उसे कहने लगे कि आपने तो कहा था कि मेरे पुत्र को आप जीवन दान देंगे और इसी को देखते हुए भगवान श्री कृष्ण ने जैसे ही बच्चे के ऊपर हाथ फेरा दोबारा से जीवंत हो गया और इसको देख कर सब खुश होने लगे युधिस्टर भी जब युद्ध से लौटे और उन्हें पता चला कि उन्हें पुत्र को जन्म दिया है तो वह भी खुश हो गए

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और सारी स्त्रियां भी इस चीज को देखकर आश्चर्यचकितहुई की वह बालक कैसे जीवित हो गया और इसी की वजह से वह सारे जश्न मनाने लगे उन्होंने हाथियों को खोल दिया दान धर्म किया और खुशी के साथ में उस बच्चे का सत्कार किया और उस बच्चे का नाम परीक्षित रखा गया ।

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ज्योतिषी को बुलाकर बच्चे के भविष्य के बारे में जानकारी ली गई तो ज्योतिषी ने कहा कि अदालत कहलायेगा और यशस्वी पराक्रमी और दान देने वाला कहलाएगा आगे बताया कि यह बालक बहुत ही ज्यादा ज्ञानी होगा और इसके चर्चे बहुत साल बाद भी रहेंगे यह बात सुनकर खुश हुए और उन्होंने पंडित जी को दक्षिणा देकर विदा किया।

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50 amazing Life Changing Stories : Raja Parikshit Story Hindi Kahani

Raja Parikshit Story Hindi Kahani : इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी बुराई का साथ नहीं देना चाहिए और हमें छल कपट से कोई भी कार्य को नहीं करना चाहिए चल कपट के साथ में कोई भी कार्य करते हैं या बुराई के साथ में कोई भी कार्य करते हैं तो इससे हमें बुरे ही प्रभाव अपने जीवन पर मिलते हैं और बुरा ही हमें अपने जीवन में घूमने को मिलता है तो इसी की वजह से हमें अपने जीवन काल में सही राह पर चलते हुए आगे बढ़ना चाहिए और छल कपट से दूर रहना चाहिए।

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