इस आर्टिक्ल ‘Most Effective Energy Healing techniques’ में मैंने रेकी की सबसे पावरफूल टैक्नीक के विषय में बताया है । रेकी जानने वालों के लिए इस टैक्नीक को जानना बहुत ही जरूरी है । पहले मैंने इस टैक्नीक का खुद प्रयोग किया है फिर आप लोगों के सामने इसको रखा है। इस आर्टिक्ल मैं मैंने अपने अनुभव को साझा क्यी है ।
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How to exchange reiki Energy in Hindi
रेकी उर्जा का आदान-प्रदान
रेकी उर्जा को मुफ्त में बांटना मूर्खता है। ऐसा समझकर डा0 उसुई ने उर्जा के आदान प्रदान के नियम बनाए। प्यासे को ही पानी पिलाना चाहिए। जिसे रेकी उर्जा की अवश्यकता हो उसे ही रेकी दो। जो रेकी सिखना चाहे उसे ही रेकी सीखानी चाहिए। उपर लिखी घटना से उनकी आंखे खुली और महसूस किया कि ब्रह्मांड में उर्जा के सन्तुलन को बनाए रखने के लिए उर्जा का आदान-प्रदान अनिवार्य है।
यदि मै बिना मांगे किसी को रेकी दूंगा तो रेकी उर्जा का महत्व नहीं रहेगा। जो रेकी उपचार लेना चाहते हैं उन्ही को रेकी उपचार दिया जाना चाहिए। रेकी प्राप्त करने वाले व्यक्ति से किसी न किसी रूप में कुछ न कुछ सेवा ली जाए ताकि रेकी का महत्व भी बना रहे और उर्जा का आदान प्रदान भी हो जाए। भारतीय परम्परा में भी पुजा-पाठ, शिक्षा या उपचार के बाद दक्षिणा देने का विधान है।
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अतः रेकी उपचार के बाद व रेकी की शिक्षा लेने के बाद कुछ न कुछ अवश्य देना चाहिए। ताकि उर्जा का आदान-प्रदान होता रहे। इससे व्यक्ति के जीवन में रेकी का महत्व बना रहता है। जब हम किसी से कुछ मांगते या लेते है तब हमारा आभामण्डल सिकुड़ता है आभामण्डल के सिकुड़ने से हमारे अन्दर हीन भावना आती है। और जब हम किसी को कुछ देते हैं तो हमारा आभामण्डल फैलता है। आभामण्डल के फैलने से हमारे अन्दर अहंकार आता है।
Focus Points of Energy Healing techniques:-
इसलिए आभामण्डल की उर्जा के सन्तुलन को बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि उर्जा का आदान प्रदान हो। तब से डा0 उसुई ने रेकी उपचार व शिक्षण के बाद कुछ न कुछ किसी न किसी रूप में देने का विधान बनाया जोकि अनिवार्य है। रेकी उपचार के लिए रोगी की इजाजत या अनुरोध आवश्यक है। उर्जा के आदान-प्रदान से कर्मबन्धन नही बन्धते और न ही अहंकार निर्मित होता है।
मन एक शांति महसूस करता है। डा0 छुजीरो हायासी डा0 उसुई के प्रथम शिष्य थे। डा0 हायाशी नौसैना में उच्च पदस्थ अधिकारी थे। डा0 उसुई ने डा0 हायासी को अपना प्रथम रेकी आचार्य बनाया। डा0 उसुई ने रेकी को तीन श्रेणियों में बांटा। प्रथम, द्वितीय, तृतीय। डा0 हायासी ने सारी शिक्षा विधिवत लेकर अपना एक बड़ा रेकी कलीनिक खोला जो शीघ्र ही प्रसिद्ध हो गया।
श्रीमति हवायो टकाटा डा0 हायासी की प्रमुख शिष्या थी। जिसने रेकी को पाष्चात्य देशों में फैलाया। श्रीमति टकाटा कई बिमारियों से पीड़ित थी। डाक्टरों ने उनको ऑपरेशन के लिए कहा। श्रीमति हवायो टकाटा का ऑपरेशन होने ही वाला था कि उनके कान में एक ध्वनि सुनाई दी कि तुम्हे ऑपरेशन की कोई आवश्यकता नही है। श्रीमति टकाटा ने आपरेषन के अलावा डाक्टर से दूसरा रास्ता पूछा।
डाक्टर ने डा0 हायासी के रेकी उपचार का नाम सुझाया। श्रीमति टकाटा ने डा0 हायासी से अपना रेकी उपचार करवाया। एक माह के लगातार रेकी उपचार के बाद श्रीमति टकाटा पूर्णतः ठीक हो गई। उनके आश्चर्य का कोई ठीकाना न था। उन्होने रेकी की विधिवत शिक्षा ग्रहण की और रेकी का चारो ओर प्रचार-प्रसार किया। सभी रेकी मास्टर किसी न किसी रूप में टकाटा के वंशज से जुड़े हैं।
Final words for Most Effective Energy Healing techniques:-
हम आशा करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिक्ल ‘Most Effective Energy Healing techniques in Hindi’ पसंद आया होगा । आप इसे अपने जीवन में जरूर उतारें ।