Lakshay Par Dhyan : हम सभी के जीवन में बहुत बार ऐसा होता है कि कुछ कहानी ऐसी होती हैं जिसको सुनने के बाद हमारा जीवन पूरी तरह से बदल जाता है तो आज हम 50 अमेजिंग लाइफ चेंजिंग स्टोरीज के संग्रह में आप लोगों के लिए ऐसे ही प्रेरणादायक कहानी लेकर आए हैं जो कि स्वामी विवेकानंद पर आधारित है जहां स्वामी विवेकानंद के बारे में हम सब जानते हैं
Lakshay Par Dhyan – और स्वामी विवेकानंद एक ऐसी पर्सनालिटी या व्यक्तित्व वाले व्यक्ति हैं जिनके चर्चे पूरे विश्व भर में है जी हां स्वामी विवेकानंद को शिकागो धर्म सम्मेलन में उनकी भाषण के लिए भी बहुत बार याद किया जाता है आपको उनके जीवन से जुड़ा हुआ एक और किस्सा बताते हैं जिससे आपको जीवन में काफी कुछ सीखने को मिल सकता है और आप छोटी-छोटी चीजों से भी अपने जीवन को बदलने वाली चीजों को सीख सकते हैं तो चले बिना किसी देरी के कहानी को शुरू करते हैं। Lakshay Par Dhyan
तो यह बात उस वक्त की है जब स्वामी विवेकानंद अमेरिका में रहा करते थे उन्होंने एक दिन अपने जीवन में जो सीखा उसको कुछ छोटे बच्चों के साथ साझा किया तो चलिए जानते हैं कैसे क्या और कब हुआ अमेरिका में जब स्वामी विवेकानंद रह रहे थे तो एक दिन वह राह चलते चलते पुल पर से गुजर रहे थे और उन्होंने पुल पर खड़े कुछ बच्चों को देखा जो अपनी बंदूक की मदद से नदी में बह रहे अंडे के छिलकों पर निशाना लगाने का प्रयास कर रहे थे Lakshay Par Dhyan
स्वामी विवेकानंद ने जब उन बच्चों को निशाना लगाते हुए देखा तो वह उनकी अठखेलियां देखते हुए वहीं पर रुक गए और उन्होंने वहीं पर खड़े होकर अच्छे से उन बच्चों की ओर देखा और समझने का प्रयास किया कि यह बच्चे कर रहे हैं तो क्या कर रहे हैं और कौन सा बच्चा कितनी बार निशाना लगा पा रहा है स्वामी विवेकानंद ने इस बात को देखा और यह समझा कि कोई भी बच्चा उस नदी में बह रहे अंडे के छिलकों पर अपने खिलौने वाली बंदूक से निशाना नहीं लगा पा रहा था
स्वामी विवेकानंद ने बहुत देर तक उन्हें देखने के बाद उनके मन में भी जिज्ञासा हुई कि चलो क्यों ना उन्हें भी निशाना लगाना का प्रयास करना चाहिए स्वामी विवेकानंद उन बच्चों के पास गए उन लोगों से उनका हालचाल पूछा और उनसे पूछा कि क्या कर रहे हैं 1 बच्चों ने बताया कि वह अपने खिलौने वाली बंदूक से नदी में बह रहे अंडे के छिलके पर निशाना लगाने का प्रयास कर रहे हैं Lakshay Par Dhyan
स्वामी विवेकानंद ने उन बच्चों से उनकी बंदूक मांगी और उनसे पूछा कि क्या वह भी निशाना लगाने का प्रयास कर सकते हैं बच्चों ने भी हामी भर दी ओं स्वामी विवेकानंद को अपने खिलौने वाली बंदूक थमा दी
स्वामी विवेकानंद ने जब प्रयास किया पहले तो वह अपने निशाने लगाने वाली चीज को थोड़ी देर तक टकटकी लगाकर देखते रहे फिर उसके बाद में उन्होंने अपनी सारी ऊर्जा को एकत्रित कर उस पर निशाना साधा और अचंभे की बात तो यह थी कि पहली ही बार में स्वामी विवेकानंद ने अपने निशाने को भेज दिया था इस बात को देख कर सारे बच्चे अचंभित रह गए और वह जिज्ञासा से
भर गए और उन्होंने स्वामी विवेकानंद से पूछा कि उन्होंने यह कारनामा कैसे किया स्वामी विवेकानंद ने उन बच्चों को बताया कि आप जीवन में किसी भी तरह के लक्ष्य के पीछे हैं Lakshay Par Dhyan
तो यदि आप उस लक्ष्य को पाने के लिए अपनी सारी ऊर्जा को एकत्रित करके अपने सारे ध्यान को केंद्रित कर देते हैं उस लक्ष्य पर तो आपके लिए कोई भी काम असंभव नहीं रहता स्वामी विवेकानंद ने उन लोगों को यह बात भी सिखाई कि यदि आपको किसी लक्ष्य को भेदना है यदि आपको किसी तरह की चीज अपने जीवन में पानी है तो आपको सारा ध्यान सारी ज्ञान को उसी और एकत्रित कर देना होता है Lakshay Par Dhyan
इसके बाद स्वामी विवेकानंद ने एक-एक करके उन बच्चों से आग्रह किया कि आप जाकर उस निशाने को लगाने का प्रयास करें बच्चों ने भी ऐसा ही किया और यह देखकर स्वामी विवेकानंद बड़े खुश हुए कि इस बार बच्चों ने निशाने पर अपनी बंदूक से निशाना साध लिया था और उस अंडे के छिलके को भेद दिया था। Lakshay Par Dhyan
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तो इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि यदि हमें अपने जीवन में किसी प्रकार के लक्ष्य को पाना होता है तो हमें हमारा सारा ध्यान उसकी लक्ष्य पर लगा देना होता है हमें अपनी सारी ऊर्जा एकत्रित कर कर उस लक्ष्य को पाने में ही लगा देना से ही हमें सफलता मिलती है यदि हम अपने जीवन में किसी तरह के कार्य को कर रहे हैं तो ना कि इधर-उधर ध्यान बताने से हमें यह ध्यान देना चाहिए कि उसी लक्ष्य पर काम करते हुए और उसी लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित करते हुए हम आगे बढ़ते हैं तो हमें जीवन में जरुर सफलता मिलती है।