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Kundalini Jagran Through Reiki
रेकी से कुण्डलीनी जागरण
रेकी से कुण्डलीनी जागरण ‘Kundalini Jagran Through Reiki in Hindi’ एक बहुत ही गहरा विषय है। इस पर जितनी चर्चा की जाए कम है। बहुत से लोग कुण्डलीनी जागरण को एक चमत्कार व सिद्धि को पाने का मार्ग समझते हैं। परन्तु हमारा विषय यह नही है।
हमारा विषय है कि कुण्डलीनी जागरण कर कैसे अच्छा स्वास्थ्य पाया जाए। जैसे कि पहले भी बताया गया है कि कुण्डलीनी के सात मुख्य चक्र होते हैं- मूलाधार चक, स्वाधिस्थान चक, नाभि चक, अनाहत् चक्र, विशुद्ध चक्र, आज्ञा चक्र व सह्स्रार चक्र। इनके अलग-2 रंग व कार्य होते हैं।
शरीर में इनकी स्थिति भी अलग-2 जगह पर होती है। जब तक ये चक्र स्वस्थ रहते हैं तब तक शरीर भी स्वस्थ रहता है। यदि इन चक्रों की ऊर्जा असन्तुलित हो जाए तो व्यक्ति बीमार हो जाता है।
यदि किसी विशेष चक्र की ऊर्जा असन्तुलित होती है तो चक्र शरीर के जिस हिस्से में स्थित है उसे सम्बन्धित रोग हो जाता है। इसलिए इन चक्रों को प्रतिदिन चार्ज, हील व जाग्रत करना चाहिए। ताकि चक्रों की ऊर्जा सन्तुलित हो सके और हम शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रहें।
Process of Kundalini Jagran Through Reiki:-
अल्फा संगीत चलाएं। बैठने के लिए किसी आसन, चटाई, कपड़े या कालीन का प्रयोग किया जा सकता है। कुर्सी पर बैठकर या बैड पर लेट कर भी इस विधि का प्रयोग किया जा सकता है। आप खड़े होकर भी कर सकते हैं।
रेकी शक्ति का आवाह्न करें – मैं अपनी कुण्डलीनी के चक्रों को जाग्रत करने के लिए रेकी शक्ति का आवाह्न करता हूँ/करती हूँ । हे रेकी शक्ति मेरे अन्दर प्रवाहित हो-3। प्रतीक 1 से हथेलियों को शुद्ध फिर प्रतीक 1 से चार्ज करें।
मन ही मन बोलें हे रेकी शक्ति मेरे कुण्डलीनी के चक्रों को चार्ज करने के लिए मेरे हाथों को चार्ज करो-3 । फिर प्रतीक 1 से अपने सातों चक्रों को शुद्ध करें।
फिर प्रतीक 1 से अपने चक्रों को चार्ज करें। मूलाधार चक, स्वाधिस्थान चक, मणिपुर चक्र, अनाहत चक्र व आज्ञा चक्र में प्रतीक 1 2 1 से रेकी उपचार करें। चक्रों को शुद्ध करते समय ऊपर से नीचे की तरफ आए और चार्ज करते समय नीचे से ऊपर की तरफ जाएं।
Important Point:-
जब आप चक्रों को शुद्ध करें तो मन ही मन बोलें हे रेकी शक्ति मेरे चक्रों शुद्ध करो-3, सभी अवरोधों को दूर करे-3 । चक्रों को चार्ज करते समय बोले हे रेकी शक्ति मेरे चक्रों को चार्ज करो-3, हील करो-3, जाग्रत करो-3 । मेरा यह अनुभव रहा है कि इस विधि से कुण्डलीनी के चक्र बड़ी जल्दी जाग्रत होते हैं और आपको स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
चक्रा स्कैनर, एल रोड़ व डाऊजर से अपने चक्रों की स्थिति का पता भी लगाया जा सकता है कि मेरा कोन सा चक्र सन्तुलित है या कौन सा चक्र असन्तुलित है। इस विधि का प्रयोग आप स्वयं के लिए भी कर सकते हैं और दूसरों के लिए भी कर सकते हैं।
इस विधि का प्रयोग लगातार 3 माह तक करना चाहिए ताकि शरीर पूरी तरह से स्वस्थ हो सके। आपके अन्दर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सके। आप भविष्य में भी बिमार न हो सके।
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Do This Every Morning And Night
Precautions Related to Kundalini Jagran Through Reiki
इसी विधि का प्रयोग किसी योग्य प्रत्यक्ष रेकी गुरू के सान्धिय में ही करना चाहिए या मार्ग दर्शन में करना चाहिए। यहॉं कुण्डलीनी जागरण को स्वास्थ्य की दृष्टि से दिया गया ना कि आध्यात्मिक दृष्टि से।
Final Words for Kundalini Jagran Through Reiki:-
मैं आशा करता हूँ कि आपको हमारा यह आर्टिक्ल ‘Kundalini Jagran Through Reiki in Hindi’ आपको पसंद आया होगा । यह आर्टिक्ल मैंने अपने अनुभव के आधार पर लिखा है ।