आज के हमारे लेख का विषय है How to do Kriya Yoga in Hindi इसके बारे में आपको पूरी विस्तार से जानकारी दी जाएगी . क्रिया योग हमारे आध्यात्मिक विकास का एक प्रकार का मार्ग माना जाता है . जिसमे व्यक्ति अनेको अदृश्य शक्तियों से परिचित होने लगता है . एवं इसके अंदर अनेक प्रकार प्राणायाम योग ध्यान की अवस्थाओं को शामिल किया गया है .
इस तरह के Kriya Yoga को बाकि प्राणायाम एवं ध्यान से काफी अधिक कारगर तथा अच्छी गुणवत्ता वाला बताया गया है इसके अंतर्गत आपको अधिक परिश्रम एवं अभ्यास की आवश्यकता होती है . यदि व्यक्ति क्रिया योग को पूरी सहजता एवं सही ठंग से इसका अनुचरण करे तो इससे बहुत अच्छा लाभ हमें देखने को मिल जाता है .
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कुछ विद्वानों की नजर से देखे तो उनका यह तथ्य है की Kriya Yoga व्यक्ति को आध्यात्म से जोड़ता है तथा ईस्वर से मिलने में भी सहायक होता है . आज हम ऐसी बात के ऊपर सर्चा करने वाले है की Kriya Yoga कैसे करे ? Kriya Yoga करने का सही तरीका क्या है ?
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क्रिया योग के फायदे – Benefits of Kriya Yoga
यदि बात करे इसके फायदे के बारे तो इसके अनेक तरह के फायदे है जिनके बारे में आज हम सर्च करने वाले है . इसका सबसे मुख्या फायदा है रोगो से मुक्ति एवं मन की शांति . आप यदि Kriya Yoga का अभ्यास करते है तो आपको अपने body के लगभग सभी रोगो से मुक्ति दिलाने के लिए क्रिया योग बहुत ही अच्छा माना जा रहा है . एवं आप निरोगी काया के धनि बन सकते है .इसके अन्य फायदों की बात करे तो भावात्मक संतुलन , तीक्ष्ण एकाग्रता , मन की शांति , स्फूर्ति . ज्ञान , तथा अंत प्रेरणा आदि क्रिया योग की बदौलत हासिल किया जा सकता है .
यदि Kriya Yoga का नियमित रूप से अभ्यास किया जाये तो यह आपके मन को शांति पहुंचने के साथ साथ आपके शरीर के अंदर बल भी पैदा कर सकता है . एक साधारण भासा में कहा जाये तो ये आपके मन मस्तिष्क , आत्मा , कायाकल्प करने हेतु क्रिया योग बहुत ही अहम् भूमिका अदा करता है .
Kriya Yoga के लिए कुछ महत्वपूर्ण बाते
आपकी जानकारी के लिए बता दे Kriya Yoga करने हेतु आपको ज्यादा ध्यान की आवश्यकता होगी .
Kriya Yoga करने के लिए आपको सर्वप्रथम इसके लिए तैयार होना होता है जिसमे आपको अपने मन की स्थिरता , एकाग्रता , एवं अच्छे अनुशासन की आवशयकता होती है .
Kriya Yoga करने के दौरान आपको अपने गुरु की हर बात को बिना कोई प्रश्न के माननी होगी .
यदि क्रिया के दौरान आप किसी भी प्रकार का अवहारिक अथवा मुख्तापूर्वक सवाल उठाते है तो आप इस क्रिया के लिए अभी तक योग्य नहीं है .
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आपको अपने अंदर एक अच्छा बलवाव करना होगा तभी आप इसके लिए योग्य साधक बन पाएंगे जिसमे आपको अपनी सारी बुरी आदतों को छोड़ना होगा एवं आपको अच्छे व्यक्ति की संगत में रहना सीखना पड़ेगा . यदि आपके अंदर किसी अन्य प्रकार की कोई बुरी आदत है तो आपको सबसे पहले अपने आप को उस दुविधा से दूर करना होगा .
क्रिया योग कैसे करें ? (How To Do Kriya Yoga)
यदि आप अपने विचलित मन से चिंतित है अथवा आपको एकाग्रता से सम्बंधित कोई परेशनिया आ रही है तो आपको क्रिया योग का सहारा अवश्य लेना चाहिए . सामान्य रूप से क्रिया योग को हम पांच भागो में विभाजित कर सकते है .
हठ योग – आपके शरीर के क्रियान्वयन तथा उसकी सुनिचित देखभाल हेतु किया जाता है .
कुंडलिनी प्राणायाम – यह साधक की अंतरात्मा तथा आंतरिक चेतना को जगाने के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है .
ध्यान योग – हमारे मन की सफाई एवं एकाग्रता में वृद्धि के लिए ये आसान बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है . इससे आपके भीतरी शक्ति का उजागर होता है एवं आपको नई ऊर्जा की प्राप्ति होती है .
मंत्र योग – इस क्रिया का उपयोग मुख्यत हमारे शरीर में मौजूद मुख्य सात चक्र को जागृत करने हेतु इसका उपयोग किया जाता है .
भक्ति योग – इसके अंतर्गत साधक को सभी प्रकार के फायदे मिलते है . एवं अनेक क्षेत्रो में सफलता के योग बनते है .
उच्च रक्त शाप को कट्रोल करने के लिए Kriya Yoga
पौराणिक मान्यताओं की माने तो भगवन शिव जी ने विष्णु जी को सुदर्शन दिया था . एवं इसका उपयोग भगवन विष्णु ने द्वापर युग के अंतर्गत किया गया था . तथा ऐसा माना जा रहा है की ऐसी सुदर्शन की सहायता से कई दानवो का वध किया गया था एवं संसार को देत्यो से मुक्त करवाया था . इस चक्र की मुख्य विशेषता यह मानी जा रही है की यह जब लक्ष्य भेद देता है तो ये पुनः अपने स्वामी के पास वापस लोट आता है . इसी वजह से इस क्रिया का नाम सुदर्शन रखा जाने लगा था.
इस क्रिया को हम चार भाग में विभाजित कर सकते है . उज्जयी प्राणायाम, भस्त्रिका प्राणायाम, ओम का जाप और क्रिया योग को शामिल किया गया है . सुदर्शन क्रिया हिंदी के दो मुख्य शब्दों के संयोग से मिलकर बना होता है . जिसमे ” सु ” तथा ” दर्शन “ शामिल है . इसके अंतर्गत सु का तात्पर्य होता है सही एवं दर्शन का तात्पर्य होता है देखना . इस योग का अभिप्राय होता है की सही से देखने से माना जाता है . जो व्यक्ति यह योग करता है उसको अनेक तरह के फायदे प्राप्त होते है जिसमे तनाव , अवसाद , शरीर की कमजोरी , मन की शांति तथा उच्च रक्त शाप के रोगियों के लिए भी यह बहुत लाभदायक माना जाता है .
इसके साथ ही यह व्यक्ति के मानशिक समस्याओ के समाधान हेतु भी ये असरदार है एवं आपके भटकते मन को कट्रोल करने के साथ साथ आपको नई ऊर्जा की प्राप्ति भी होती है .
मनुष्य के लिए योग करना क्यों आवश्यक है?
इस बात से हम भली भांति परिचित है की योग क्रिया के माधयम से व्यक्ति शारीरिक एवं मानशिक तौर पर हमेशा रोगो से मुक्त रहता है एवं अनेक प्रकार की बीमारियों से लड़ने की शक्ति प्राप्त होती है . इसके साथ ही योग के द्वारा हमारे शरीर की श्री मश्पेशिया एक्टिव हो जाती है तथा हमारी उम्र भी लम्बी बढ़ने लगती है . एवं इसके साथ ही हमारे शरीर में मौजूद आंतरिक अंगो में भी मजबूती मिलती है . और ये हमारे नाड़ी तंत्र को मजबूत करने का कार्य भी करती है . यह हमारे मस्तिष्क की बीमारिया जैसे तनाव , अनिद्रा , चिड़चिड़ापन आदि से हमें मुक्ति मिलती है . एवं हमारा शरीर पूरी तरह से स्वस्थ रहता है .
क्रिया योग का फल क्या है ?
श्री परमहंस योगाचार्य जी की माने तो क्रिया योग एक प्रकार से मन कायिक प्रणाली मानी जाती है . जिसके माध्यम से मनुष्य के खून से बिलकुल अलग एवं ऑक्सीजन से परिपूर्ण हो पाता है . जैसा की हम जानते है इसके अंदर विद्यमान ऑक्सीजन के अणु जीवन प्रवाह हेतु मस्तिष्क तथा मेरुदंड के चक्रो को पूरी तरह से नवशक्ति के द्वारा ऐसे फिर से पूरित करने का प्रयास करते है .
Final words for How to do Kriya Yoga in Hindi:-
इस आर्टिकल के माध्यम से हम लोगों ने आज आपको बताने का प्रयास किया है कि क्रिया योग क्या होता है और क्रिया योग के लिए महत्वपूर्ण बातें क्या हुआ करती हैं इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आप लोगों को यह बताने का भी प्रयास किया कि क्रिया योग के फायदे क्या क्या हुआ करते हैं और आज हम लोगों ने यह भी जाना कि क्रिया योग को किन पांच भागों में विभाजित कर सकते हैं। हम आशा करते है कि आपको हमारा यह आर्टिक्ल ‘How to do Kriya Yoga in Hindi’ पसंद आया होगा ।