Garibi Aur Dukhdayak Budhapa Ki Hindi Kahani- गरीबी और दुःखदायक बुढ़ापा की प्रेरणादायक हिन्दी कहानी
Garibi Aur Dukhdayak Budhapa:- एक गाँव मे गरीब आदमी रहता था वह बहुत गरीब था वह बहुत गरीब था वह मेहनत और मजदूरी कर अपना गुजारा करता था लोगो के घरो और खेतों में काम करता था तब जाकर कहीं उस आदमी को चार पैसे मिलते थे ।
जिस से वह घर में बच्चो के लिए खाने का सामान लेकर आता था लेकिन उससे उसके बच्चों की जरूरत पूरी नहीं होती थी वह आदमी सोचता था कि मुझे ओर मेहनत की जरूरत हैं मैं और मेहनत करूँगा तो ज्यादा पैसे आयेंगे ।
वह आदमी दिन भर खेतो में काम कारता ओर रात में रिक्शा चलाता उससे जो पैसे आते वह घर खर्च के लिए दे देता उन पैसो से बस दाल रोटी का काम चलता बच्चो की जरूरत पूरी नहीं होती थी ।
उस गरीब आदमी के घर में चार बेटियाँ थी वह यहीं सोचता रहता था कि बेटियों को पढ़ाना लिखाना हैं और सबसे ज्यादा उसको उनकी बेटियों की शादी कि चिन्ता रहती थी वह सोचता था कि मैं तो गरीब हूँ मेरे पास इनको पढ़ाने के पैसे भी नहीं हैं और न इनकी शादी के मैं कैसे करूँगा हे भगवान ये गरीबी बहुत बुरी हैं ।
मैं अपनी बेटियों को पढ़ाना चाहता हूँ लेकिन मेरे पास पैसे नहीं हैं मैं कैसे करू एक दिन वह गरीब आदमी खेतों से काम कर कर घर लौट रहा था आते आते उसके मन में एक ख्याल आया कि क्यों न मैं अपनी चारो बेटियों को एक अनाथ आश्रम में छोड़ दूँ मैंने सुना हैं ।
Our Others Articles:-
Daily use 5 best Sahaj Dhyan benefits in Hindi
Sahaj Dhyan Kaise Karen in Hindi
Mahila Pradhan Ki Prernadhayak Hindi Kahani
Abhimani Vyakti Ki Hindi Kahani-Moral Story in Hindi
आश्रम में अमीर आदमी बच्चों को गोद लेने के लिए आते हैं । मेरी बेटियों को अच्छा जीवन मिलेगा । वह पेट भर भोजन खाएंगे । पढ़ने के लिए स्कूल जाएंगी ।
अच्छे-अच्छे कपड़े पहनने के लिए मिलेंगे और खेलने के लिए खिलौने भी मिलेंगे । मेरी बेटियों का जीवन सुधर जाएगा । वह पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खड़ी हो जाएगी । वह बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूमेंगे ।
उनके पास रहने के लिए अच्छा और बड़ा घर होगा । कुछ समय के लिए भूल गया था कि उसको चार बेटियों के अलावा बुढ़ापे का सहारा कोई नहीं है । चार बेटियों के जन्म के बाद उसकी पत्नी का देहांत हो गया था ।
उसने अकेले ही अपनी चार बेटियों को पाला था । वह आदमी अकेलेपन को देखकर घबरा जाता है और अपनी चार बेटियों का अनाथ आश्रम में छोड़ने का ख्याल अपने मन में से निकाल देता है और घर चला जाता है जब उसकी बड़ी बेटी 6 साल की हो चुकी थी ।
एक दिन वह आदमी काम से घर लौट रहा था तो रास्ते में उस । एक आदमी मिला उससे उसकी बेटियों के बारे में पूछा तो उस आदमी ने बताया कि बड़ी बेटी 6 साल की हो चुकी है ।
मैं उसे पढ़ाना चाहता हूँ, लेकिन मेरे पास उसे पढ़ाने के लिए पैसे नहीं है । मैं क्या करूंगा तब दूसरे आदमी ने उसे समझाया कि चिंता मत करो भाई आप अपनी बेटियों को एक सरकारी संस्था का स्कूल है ।
आप अपनी बेटियों को वहां पर पढ़ा सकते हो । वहां पर सब कुछ मुफ्त में मिलता है । सरकारी स्कूल में वर्दी, किताबे, खाना और इसके साथ वजीफा भी मिलता है । सभी लड़कियों की शिक्षा सरकार ने मुफ्त की है ।
वह आदमी ऐसा ही करता है जैसा कि उस आदमी ने उसे करने के लिए बोला था । कुछ समय के बाद उसकी चारों बेटियाँ बड़ी हो गई और पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खड़ी हो गई, लेकिन वह आदमी बूढ़ा हो गया । उसे डर था कि चारों बेटियों की शादी के बाद मैं अकेला रह जाऊँगा ।
बुढ़ापे में मेरा ख्याल कौन रखेगा ? मेरी पत्नी भी मर चुकी है और मेरा तो कोई बेटा भी नहीं है कि बुढ़ापे में मेरी देखभाल कर सकें । बेटी तो पराया धन है लेकिन दूसरी तरफ वह यह भी कहता था कि
“जिस घर में बेटी नहीं उस घर का आँगन सूना”
“जिस घर में बेटी हो, उस घर में खुशहाली हो”
चारों बेटियों की शादी के बाद वह आदमी अकेला पड़ जाता है । बुढ़ापा सताने लगता है, वह आदमी सोच में पड़ जाता है कि अब मैं बूढ़ा हो गया हूँ अब मेरी देखभाल के लिए मेरे पास कोई नहीं है । धीरे-धीरे वह आदमी बीमार होने लगता है और उसे चिन्ता सताने लगी । एक तो मैं गरीब हूँ, ऊपर से दुःखदायी बुढ़ापा है । भगवान मेरे जीवन की नईया कैसे पार होगी ? वह मन ही मन भगवान को याद करता है और कुछ गुनगुनाता है ।
मैं क्या लाया था और क्या ले जाऊँगा । खाली हाथ आया था और खाली हाथ जाऊँगा । कुछ समय बीत जाने के बाद वह बूढ़ा आदमी बहुत बीमार हो जाता है । उसके पास पानी पिलाने वाला भी कोई नहीं होता । उसके चारों और मक्खियां भिनभिनाती थी सब उसे देख कर उससे दूर चले जाते आस-पास वाले लोग उसे बूढ़े आदमी से घिन करते ।
तब उसे बूढ़े आदमी ने अपनी चारों बेटियों को संदेशा भिजवाया मैं बहुत बीमार हूँ । मेरी देखभाल करने के लिए मेरे पास कोई नहीं है तब उसकी चारो बेटियों ने मिलकर एक फैसला किया । क्यों ना पिताजी को छः छः महीने के लिए हम सब रखें । इससे पिताजी ठीक भी हो जाएंगे और उनको अकेलापन महसूस नहीं होगा ।
पहले बड़ी बहन पिताजी को रखेगी । ऐसे करके उस बूढ़े आदमी का बुढ़ापा भी अच्छा हो गया । वह ठीक भी हो गया और उसे अकेला भी नहीं रहना पड़ा । किसने कहा कि बेटी पराया धन है नहीं बेटी भी बेटा बन सकती है । बेटी भी बूढ़े और बीमार को संभाल सकती है ।
Morel of the Story Related to Garibi Aur Dukhdayak Budhapa
इस कहानी से हमें दो शिक्षाएँ मिलती है :-
- बेटियाँ भी बेटों के समान होती है । उन्हें पराया धन नहीं समझना चाहिए ।
2. गरीबी आदमी को लाचार और बूढ़ा बना देती है ।
Final Words
हम आशा करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल ‘गरीबी और दुःखदायक बुढ़ापा की प्रेरणादायक हिन्दी कहानी‘ पसंद आया होगा । अपना किमती समय निकाल कर यह आर्टिकल पढ़ने के लिए आप सभी का धन्यवाद ।
Interesting Article:-