Budh, Aam Aur bache : हम सभी जानते हैं कि गौतम बुद्ध एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होंने अपने जीवन में बहुत सारे ऐसे विचार लोगों के सामने रखे जिनको आज भी लोग यदि अपने जीवन में उतार ले और उसके बारे में समझ ले तो वह पूरी तरह से अपने जीवन को बदल सकते हैं यहां आज हम इस 50 अमेजिंग लाइफ चेंजिंग स्टोरीज के माध्यम से आप लोगों के लिए ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी लेकर आए हैं
Budh, Aam Aur bache: जिसको यदि आप गहराई से समझें और उसके शिक्षा को अगर अपने जीवन में उतारते हैं तो आप अपने जीवन में पूरी तरह से सहजता से भर जाएंगे और उसी के साथ साथ यदि आप अपने जीवन में कार्य क्षेत्र में इस काम को करते हैं तो अपने जीवन को पूरी तरह से बदल सकते हैं जी हां आज के इस कहानी संग्रह में हम आप लोगों के लिए कहानी लेकर आए हैं
गौतम बुद्ध आम और बच्चों की कहानी इस कहानी में हम आप लोगों को बताएंगे कि कैसे गौतम बुद्ध को छूट देने के बाद भी गौतम बुद्ध ने बच्चों को सीख ली और बच्चों का जीवन पूरी तरह से बदल दिया बिना किसी देरी के कहानी की शुरुआत करते हैं और आप लोगों को बताते हैं कि क्या है यह कहानी जिसका नाम है बुद्ध आम और बच्चे।
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तो कहानी की शुरुआत होती है कि एक बार की बात है गौतम बुद्ध एक आम के बगीचे में अपने आपको पेड़ की छाया में धूप से बचाते हुए विश्राम कर रहे थे और अपने ध्यान में मग्न थे जैसा कि हम सब जानते हैं कि गौतम बुद्ध बहुत ही शांत चित्त के व्यक्ति थे और उन्होंने अपने इंद्रियों को इस तरह से अपने वश में कर रखा था कि उनके चित्र से शांत चित्र शायद ही कोई आज तक हुआ हो गौतम बुध जब अपने ध्यान में मग्न थे
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तो वहां पर पास ही खेल रहे बच्चों को आम के पेड़ पर लटके हुए आम को देखते हुए मन में नामों को खाने का लालच आया जब उन बच्चों ने उन रसीले और पके हुए आम को देखा तो उन्होंने उस पर पत्थर मारना शुरू किया धीरे-धीरे पत्थर की चोट से नीचे गिरने लगे और आमों को देखकर बच्चों में और उत्साह जाग गया और उन्होंने आम के पेड़ पर और जोर-जोर से पत्थर मारना शुरू कर दिया
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यह देखकर गौतम बुद्ध शांत थे और बच्चो ने और तेजी से पत्थर मारना शुरू किया वह फिर भी शांत रहे उन्होंने सोचा कि बालक हैं शायद यह अपने आप समझ जाएंगे जैसे ही धीरे-धीरे आम बढ़ रहे थे आम के ढेर लग रहे थे
तो बच्चों के मन में और लालच आ रहा था और अब की बार वह ऊंचे आम पर निशाना साधते हुए पत्थर मारने लगे एक बार पत्थर नहीं लगा दो बार पत्थर नहीं लगा पत्थर लगने के बाद बच्चों को यह समझ में आ गया कि यदि हमें उस आम को तोड़ना है तो हमें थोड़ा तेजी से पत्थर मारना पड़ेगा और इसी की वजह से ऊंचे को तोड़ने की वजह से दूर से पत्थर मारते हैं
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और वह पत्थर जाकर गौतम बुद्ध के सिर पर लगता है और गौतम बुद्ध के सिर में से खून आने लगते हैं बच्चे यह देखकर बहुत डर जाते हैं और उन्हें डर लगता है कि गौतम बुद्ध अब उन्हें बहुत डाँटेंगे और शायद उनकी पिटाई भी कर सकते हैं
थोड़ी देर तो गौतम बुद्ध को देखते रहे और किसी भी बच्चे की हिम्मत नहीं हुई कि वहां उनके पास और माफी मांगे एक बच्चे ने हिम्मत दिखाते हुए उनके पास जाकर कहा कि हमें शमा कर दीजिए हमारी वजह से आपके सिर से खून बहने लगा उन्हें डर था कि हमें डांट पड़ेगी पर गौतम बुद्ध ने उनसे कुछ भी नहीं कहा और मुस्कुराते हुए यह कहा कि देखो बच्चों आप लोगों ने मुझे पत्थर मारा मुझे उस चीज का बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा यह आपको जो डर है कि आपके अंदर इस बात को जाहिर करता है
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कहीं ना कहीं कि आपने कोई काम गलत किया है जी हां आपने पत्थर से उस पेड़ को घायल किया है और आप के पत्थर की चोट से वह शायद चोटिल भी हुआ हो इसी की वजह से यह आपके मन में डर उत्पन्न करता है और इस कहानी से गौतम बुद्ध ने उन बच्चों को यह सीख दी कि हमें कभी भी किसी को चोट नहीं पहुंचा नहीं चाहिए और दूसरा यदि हमारे साथ में कोई बुरा करता है तो हमें अपना आपा खोते हुए सही हमसे उसे समझना चाहिए और उनके साथ में बुरा व्यवहार करके हमको बुरा नहीं बनना चाहिए।
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इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें किसी भी व्यक्ति के साथ में बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए और हमें अपने लालच की वजह से किसी को दुख भी नहीं पहुंचाना चाहिए फिर चाहे वह पेड़ हो या फिर कोई व्यक्ति हमें इस चीज का ध्यान देना चाहिए कि यदि हमारे साथ में कोई बुरा व्यवहार कर रहा है तो हमें उसके साथ में बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए बल्कि हमें उसके साथ में अच्छा व्यवहार करते हुए उसे यह समझाना चाहिए कि वह गलत काम कर रहा है और उसे सही दिशा में जाना चाहिए तभी उसके जीवन में सार्थकता आएगी।