Murkha Bagula Aur Nevla Hindi Kahani तो आज इस कहानी संग्रह में हम आप लोगों के लिए लेकर आए हैं मूर्ख बगुला और नेवले की एक दिलचस्प कहानी इस कहानी के माध्यम से मैं आप लोगों को बताना चाह रहे हैं कि कैसे आप को मूर्खता बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए और दूसरों की बातों पर बिल्कुल भी नहीं आना चाहिए और आंख मूंदकर किसी पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए
Murkha Bagula Aur Nevla Hindi Kahani
इस कहानी के माध्यम से हम आप लोगों को यह बताने का प्रयास करेंगे कि कैसे दूसरे लोग आप की आंखों पर पट्टी बांध देते हैं और यदि आप उन पर आंख बंद करके विश्वास करते हैं तो आप अपने जीवन को ही संकट में डाल लेते हैं सुनते हैं और समझते हैं कि हमें अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहिए और कैसे हमें दूसरे लोगों पर आंख मूंदकर विश्वास नहीं करना चाहिए और हमें ऐसा क्यों करना चाहिए।
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परी कहानी है एक बगुले की बगुला एक पेड़ के नीचे रहा करता था एक बरगद का पेड़ जहां एक बगुला रहा करता था वह अपने घोसले में अपने बच्चों के साथ में रहा करता था उस पेड़ के नीचे एक सांप का बिल था वह सांप का बिल में एक बहुत ही खूंखार साहब रहता था वह साहब जब भी बगुले के बच्चे होते तो उन्हें खा जाता और वह वापस अपने दिल में चला जाता बगुला
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जब भी खाना लेने जाता है आप अपने पानी के लिए जाता तो वह साफ आता और चुपके से सांप बगुले के बच्चों को खा जाता इससे परेशान होकर बगुला तंग आ गया था और 1 दिन नदी किनारे बैठ कर रोने लगा की आंखों में आंसू थे तो एक केकड़ा बाहर निकल कर आया और पानी से बाहर आकर उसने बगुले के संकट का कारण पूछा उसने पूछा कि अब अगले भाई आप इतने परेशान क्यों है आपकी आंखों में आंसू क्यों है
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बगुले की यह बात अवस्था देखकर केकड़े को संवारा तेरा साया लेने परेशान होते हुए कहा कि मेरे घोसले के नीचे एक सांप रहता है और मैं कितना भी अच्छा क्यों ना बना लूं वह मेरे घोसले में से मेरे बच्चों को खा जाता है और अब मैं परेशान आ गया हूं इस चीज को देखकर कि पहले तो बगुले की व्यथा सुनी और उसके मन में भी गुस्सा आ गया क्योंकि बगुला भी केकड़े के बच्चों को खा जाता था जब भी बगुला पानी पीने आता था तो वह कितने के बच्चों को खा जाया करता था कि
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कड़े को भी अपना दुख याद आ गया और उसने बगुले से बदला लेने की ठानी उसने कहा कि क्यों ना तुम सामने वाले पेड़ में रह रहे नेवले को सांप की तरफ बुलाओ और जिससे कि सांप और नेवले में लड़ाई होगी और सांप नेवला मार देगा बगुले कोई है युक्ति बड़ी अच्छी लगी पर उसने यह बिल्कुल भी नहीं सोचा कि नेवला तो उसका भी दुश्मन है नेवला यदि सांप को मारने आएगा तो क्या पता मैंने बोला उसे भी मारना देने आता वह मांस के टुकड़े लेकर नेवले के पेड़ से सांप के बिल तक रखने लगा
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जैसे ही नेवले को इस बात का आभास हुआ वह सांप के बिल की ओर बढ़ता रहा बढ़ता रहा और अंत में उसने सांप के बिल में जाकर सांप को मार दिया और उसकी नजर बगुले पर पड़ी और सांप को मारने के बाद बगुले को भी निर्णय ने मार दिया और अंत में वहां नेवला रहने लगा बगुले की मूर्खता की वजह से उसके अपनी जान गवानी पड़ी और मैंने भी अपना बदला पूरा ले लिया इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी किसी पर विश्वास नहीं करना चाहिए क्योंकि हमें यह नहीं पता होता कि कौन हमारा चाहने वाला है और कौन हमारा बुरा चाहने वाला है।
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इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जब भी हम आंख मूंदकर मूर्खता के साथ किसी पर विश्वास करते हैं तो हमें इस बात का ध्यान देना चाहिए कि वह हमारे लिए ही कष्टदायक होता है अंत में जाकर यदि हम किसी भी तरह से दिमाग का इस्तमाल नहीं करते किसी पर आंख मूंदकर विश्वास कर लेते हैं तो उसका खामियाजा हमें अपने जीवन में बहुत बुरी तरह से उठाना पड़ता है
और इसी की वजह से लोग इसका फायदा भी उठाते हैं जो कि बगुले के साथ हुआ बाबू लेने मूर्खता दिखाई और बिना कुछ सोचे समझे केकड़े पर विश्वास कर लिया जिसकी वजह से उसने अपनी जान भी गंवा दी इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी ऐसा नहीं करना चाहिए और दूसरों की बातों में आकर बिना कुछ सोचे समझे किसी भी तरह क्या डिसीजन नहीं लेना चाहिए।