Brahma Ji ko na puje jaane ki Hindi Kahani : हम सभी ब्रह्मा जी के बारे में जानते हैं और ब्रह्मा जी के बारे में हमने बहुत सी कहानियां सुनी भी है हम सभी जानते हैं कि हमारे धर्म के अनुसार तीन देव ब्रह्मा विष्णु महेश जो कि रचेता है इस पूरी सृष्टि के तो आज की कहानी ब्रह्मा जी से जुड़ी हुई है आज के इस कहानी संग्रह में हम आप लोगों के लिए एक दिलचस्प कहानी लेकर आए हैं ।
जिसमें हम आप लोगों को एक रहस्य के बारे में बताएंगे कि क्यों ब्रह्मा जी को नहीं पूजा जाता क्यों ब्रह्मा जी का मंदिर सिर्फ पुष्कर के अलावा और कहीं नहीं है तो आज की इस कहानी में हम आप लोगों को बताएंगे कि कैसे ब्रह्मा जी को अपने ही पत्नी से श्राप मिला और क्यों उन्हें आज तक नहीं पूजा जाता तो चलिए बिना किसी देरी के हम शुरुआत करते हैं कहानी की ।
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तो एक बार की बात है ब्रह्मा जी ने मन ही मन याद करने का फैसला लिया और उन्होंने यह फैसला लिया कि वह एक शांत और सबसे अलग जगह पर यज्ञ करेंगे उन्होंने जब है अपने यज्ञ के लिए जगह तलाश रहे थे उसके बाद उन्होंने अपनी बाह से निकाल कर एक कमल का फूल पृथ्वी लोक पर फेंक दिया वह कमल का फूल पुष्कर में जाकर गिरा था और पुष्कर आज के वक्त में राजस्थान में स्थित है ।
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पुष्कर में ही ब्रह्मा जी का एकलौता मंदिर है उसके पीछे का रहस्य कहानी यही है इस कहानी को पूरा जरूर पढ़िएगा तो ब्रह्मा जी ने वह कमल का फूल पुष्कर में गिराया और वह पुष्कर आकर तपस्या की तैयारी करने लगे उन्होंने पुष्कर में उस जगह पर तपस्या की और वह सही मुहूर्त की तलाश में थे जब सही मुहूर्त यज्ञ का निकला तो उसमें यह क्या हुआ कि वह यज्ञ कोई स्त्री के द्वारा ही शुरू किया जाएगा तो ब्रह्मा जी ने अपनी पत्नी सावित्री से आग्रह किया कि वह यज्ञ की शुरुआत करें
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और ब्रह्मा जी पुष्कर चले आए जब यज्ञ का समय मुहूर्त आ गया था तो यज्ञ के मुहूर्त निकलने जाने के डर से ब्रह्मा जी ने सावित्री को ढूंढा पर वह कहीं नहीं मिले और उनका कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था और यज्ञ का मुहूर्त चलता चला जा रहा था ब्रह्मा जी को डर था कि कहीं वह यज्ञ का मुहूर्त जो कि दोबारा लौट कर कभी नहीं आता वह निकल ना जाए तो उसी वक्त बहुत ढूंढने के बाद जब ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री उन्हें नहीं मिली तो ब्रह्मा जी ने वही गांव की ग्वाली से शादी कर ली और
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उनसे यज्ञ की शुरुआत करवाने का आग्रह किया जबकि शुरुआत हो गई और उसके कुछ समय पश्चात सावित्री महायज्ञ में पहुंची तो उन्होंने ब्रह्मा जी के साथ किसी दूसरी स्त्री को बैठे हुए देख कर बहुत क्रोधित हुए और अपने उसी क्रोध की वजह से उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया कि पूरे विश्व में आपकी कहीं भी पूजा नहीं की जाएगी और आपका पूरे विश्व में कहीं भी मंदिर और
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नहीं बनाया जाएगा इस क्रोध में वह इतना गुस्सा हो गए थे कि आसपास के सारे लोग और देवता उन्हें देखकर डर गए और
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हम आज भी उस वक्त में कुछ नहीं कह पाए सारे देवताओं के आग्रह पर समझाने पर जब सावित्री देवी का गुस्सा शांत हुआ तो उन्होंने आग्रह करने पर यह बात कही कि आपका पुष्कर में ही मंदिर बनेगा और वहीं पर ही आपकी पूजा की जाएगी इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि हमें कभी भी किसी प्रकार बिना पूरी बात जाने क्रोध नहीं करना चाहिए हमें समझ लेना चाहिए कि हो सकता है कि किसी कारणवश सामने वाले व्यक्ति ने उस काम को किया हो।
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इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी जल्दबाजी में किसी भी तरह की कोई भी फैसला को नहीं लेना चाहिए यदि हम क्रोध में होते हैं तो उस वक्त हमें शांत हो जाना चाहिए और शांत होने की वजह से हमें इस चीज का ध्यान भी देना बहुत जरूरी होता है कि उस वक्त में लिया गया कोई भी फैसला हमारे लिए नुकसानदायक ही होगा तो
सबसे पहले तो हमें जल्दबाजी और क्रोध में कभी भी कोई फैसला नहीं लेना चाहिए उसी के साथ साथ हमें सामने वाले का पक्ष भी सुनना चाहिए इसमें नाम से समझना चाहिए कि सामने वाले की क्या मजबूरी रही होगी कि उन्होंने ऐसा किया।