Nariyal Ke Janam ki Kahani Hindi Kahani : तो आज के इस कहानी संग्रह में आप लोगों के लिए हम एक दिलचस्प कहानी लेकर आए हैं हम सभी को नारियल खाना बहुत पसंद होता है वह मीठा होता है हम में से कुछ लोगों को नारियल पानी बहुत पसंद होता है वैसे आपके लिए भी बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है पर क्या आप जानते हैं कि नारियल के जन्म की कहानी क्या है नहीं ???? तो आज के इस कहानी संग्रह में हम आप लोगों के लिए नारियल के जन्म की कहानी लेकर आए हैं। तो चलिए बिना किसी देरी के शुरूआत करते हैं नारियल के जन्म की कहानी की।Nariyal Ke Janam ki Kahani
कहानी की शुरुआत होती है राजा सत्यव्रत से राजा सत्यव्रत एक समृद्ध राजा थे और वह अपने राज्य में अपने लोगों के लिए बहुत काम किया करते थे राजा सत्यव्रत अपने जीवन में लोगों की काफी मदद करते थे वह एक समृद्ध राजा थे उन्हें किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं थी राजा के पास धन था साम्राज्य था और उसी के साथ साथ में अपने जीवन में काफी कुशलता से आगे बढ़ रहे थे राजा सत्यव्रत ने इस बात का ज्ञान था कि उनके पास में हर चीज है पर कहीं ना कहीं राजा सत्यव्रत की एक दिली इच्छा थी कि वह स्वर्ग लोक देखना चाहते थे Nariyal Ke Janam ki Kahani
राजेश व्रत का मानना था कि स्वर्ग लोग इतना खूबसूरत है कि उनके मन इस चीज की इच्छा थी कि वह स्वर्ग लोग एक बार देख लें और इसी की वजह से वह हमेशा इस चीज का मार्ग ढूंढते रहते थे कि अपनी इच्छा को कैसे पूरा किया जाए।
एक बार की बात है ऋषि विश्वामित्र की तपस्या करने के लिए अपनी कुटिया से दूर चले गए उनके पीछे उनके परिवार की हालत अच्छी नहीं थी जैसे ही राजा सत्यव्रत ने इस बारे में सुना तो उन्होंने ऋषि विश्वमित्र की परिवार की पालन पोषण की जिम्मेदारी को उठाया और उन्होंने अपने राज्य से विश्वामित्र की परिवार की पालन पोषण किया जब ऋषि विश्वामित्र लौटकर आए Nariyal Ke Janam ki Kahani
तो उन्होंने अपने परिवार को खुश देख कर बड़ी खुशी हुई और परिवार को देखने के बाद मैंने पूछा कि तुम लोगों का पालन पोषण किसने किया ऋषि विश्वामित्र के परिवार ने ऋषि विश्वामित्र को बताया कि उन लोगों का पालन पोषण राजा देवव्रत ने किया है ।
और राजा देवव्रत से ऋषि विश्वामित्र बड़े प्रसन्न हुए और उन्होंने राजा से मिलने का मन बनाया राजा से मिलने पहुंचे और उनसे एक वरदान मांगने को कहा ऋषि विश्वामित्र के बारे में राजा जानते थे और उनके चर्चे पूरे विश्व में फैले थे और यह भी जानते थे
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कि वह कितने बड़े तपस्वी हैं तो राजा ने उन्हें अपनी इच्छा बताएं कि मैं स्वर्ग लोग एक बार देखना चाहते हैं अपने जीवन में इसी विश्वामित्र ने उनकी यह ख्वाहिश पूरी करते हुए स्वर्ग लोक के लिए एक रास्ता बनाया और राजा से आग्रह किया कि उस रास्ते होते हुए वह स्वर्गलोक चले जाएंगे। Nariyal Ke Janam ki Kahani
तो वहां पहुंचते ही इंद्र ने राजा देवव्रत को धक्का दे दिया और वह जमीन पर गिर गए । जब ऋषि विश्वामित्र को राजा ने सारी व्यथा सुनाई तो ऋषि विश्वमित्र को बड़ा गुस्सा आया और उन्होंने राजा के लिए एक नया स्वर्ग लोक बनाने का फैसला किया और मनुष्य लोक और स्वर्ग लोग के बीच में राजा के लिए विश्वामित्र ने स्वर्ग लोक बनाया और वह सारी चीजें स्वर्ग लोग जैसे ही थी उस स्वर्ग लोक में भी ऋषि विश्वामित्र के बनाए हुए स्वर्ग लोक में राजा देवव्रत बड़ी प्रसन्नता के साथ रहते थे Nariyal Ke Janam ki Kahani
पर ऋषि विश्वामित्र को यह दर्शाता था ताकि कहीं तेज हवाएं उत्सर्ग लोग को क्षतिग्रस्त ना कर दें और राजा कहीं फिर से नीचे आकर जमीन पर ना गिर जाए तो इसी की वजह से उन्होंने उस स्वर्ग लोग को सहारा देने के लिए एक खंभा उसके नीचे लगा दिया जो कि बाद में चलकर एक पेड़ की छाल में बदल गया और एक पेड़ में बदल गया ऐसा कहा जाता है कि जब राजा देवरत की मृत्यु हुई तो उनका मस्तिष्क एक फल के रूप में बदल गया और वह फल ही था नारियल और Nariyal Ke Janam ki Kahani
वह पेड़ बना नारियल का पेड़ इसी की वजह से नारियल के पेड़ इतने ऊंचे और लंबे होते हैं और इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि यदि हम किसी चीज को पूरे मन से चाहे और किसी के बिना निस्वार्थ किसी व्यक्ति की मदद करते हैं तो उसका फल हमें जरूर मिलता है और इसी के साथ साथ हमें दूसरे व्यक्तियों की मदद करनी चाहिए। Nariyal Ke Janam ki Kahani
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Nariyal Ke Janam ki Kahani : इस कहानी के माध्यम से हमें बात की शिक्षा मिलती है कि हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए यदि हम दूसरों की मदद करते हैं तो हमारी मदद भी भगवान करते हैं और हमें अच्छे कार्य करने का फल जरूर अपने जीवन काल में मिलता है यदि हम किसी व्यक्ति की परेशानी में मदद करते हैं उस को भोजन कराते हैं किसी प्यासे को पानी पिलाते हैं तो उसका फल भी हमें जरूर कभी न कभी किसी न किसी मोड़ पर अपने जीवन में मिलता ही है।