Kabotar ka Ghonsla Gautam Budh Hindi Kahani : आज इस कहानी संग्रह में आप लोगों के लिए ऐसी कहानी लेकर आए हैं जिसको सुनकर आपको जीवन में एक ऐसी शिक्षा मिलेगी जिसको जानकर आप अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं जिससे आपके जीवन में कोई भी आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता क्योंकि यह कहानी दरअसल गौतम बुद्ध से जुड़ी हुई है और हम सब जानते हैं
कि गौतम बुद्ध का व्यक्तित्व ऐसा है कि यदि आप अपने जीवन में गौतम बुद्ध की सिखाई हुई सीख को अपने जीवन में उतार ले तो आपको सफल होने से कोई भी नहीं रोक सकता गौतम बुद्ध एक ऐसे व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे जिन्होंने बहुत सारे लोगों का जीवन बदला और अपनी शिक्षाओं से वह आज भी लोगों को प्रेरणा दे रहे हैं और काफी लोगों का जीवन सुधार रहे हैं तो सुनते हैं और जानते हैं कि गौतम बुद्ध की इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है।Kabotar ka Ghonsla
इस कहानी की शुरुआत होती है कि एक बार की बात है गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ में अपनी कुटिया के बाहर पेड़ के नीचे बैठे थे तभी जब अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहे थे तभी सामने से उनके एक कबूतर और कबूतरी का जोड़ा उड़ते हुए जाता है उन्हें देखकर गौतम बुद्ध के मन में एक कहानी आ जाती हैं और वह अपने शिष्यों से कहते हैं कि आज मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूं और तुम्हें एक शिष्य के तौर पर समझाने का प्रयास करता हूं कि हमारे जीवन में सीखना कितना अनिवार्य है।Kabotar ka Ghonsla
गौतम बुद्ध ने कहानी सुनाना शुरू किया कि एक बार की बात है एक पेड़ पर 1 कबूतर और कबूतरी रहा करते थे वह अपने जीवन यापन करने के लिए रोज उड़ते अपने खाना खाते दाना चुग दे और वापस लौट कर पेड़ की टहनी पर आ जाते और पेड़ की टहनी पर वह रहते थे।
दरअसल वह जिस टहनी पर रहते थे तो उस पर उन्हें घोंसला नहीं था कोई पत्तों की मदद से बना हुआ एक तरह का झुंड था पत्तों का जिस पर वह लोग रहते थे ।Kabotar ka Ghonsla
और उन्होंने उसी पर दो तीन अंडे दिए एक बार की बात है जब कबूतर कबूतरी पेड़ की टहनी पर नहीं थे वह उड़ते हुए कहीं चले गए थे तब लोमड़ी आई और लोमड़ी भूखी थी उसने खाने की तलाश में देखते हुए उन अंडों को खा लिया जब पेड़ पर लौटकर कबूतर कबूतरी की जोड़ी आई तो उन्होंने देखा कि उनके बच्चे वहां नहीं थे और इस बात को देखकर उन्हें बड़ा दुख हुआ कि उनके बच्चों को किसी ने मार दिया इसी दुख के कारण उन्होंने यह फैसला किया कि वह अब घोंसला बनाएंगे।Kabotar ka Ghonsla
ताकि उनके बच्चे सुरक्षित रह सके और वह किसी ऐसी जगह पर घोषणा बनाएंगे जहां पर किसी जानवर की नजर भी ना पड़े तो उन्होंने यही फैसला किया और उन्होंने तिनके इक्खट्टऐ करना शुरू किया ।
हवा की वजह से नीचे गिर जाने की वजह से परेशान हो गए और उन्होंने निश्चय किया कि वह अब दूसरे पक्षियों से मदद लेंगे और घोंसला बनाना सीखेंगे हमें कोई काम नहीं आता तो हम एक दूसरे से मदद मांगने में पीछे या फिर शर्म नहीं करनी चाहिए।Kabotar ka Ghonsla
दूसरे पक्षी भी उनका व्यथा सुनकर उनके घोसले बनाने में उनकी मदद के लिए आगे आए जब वह घोंसला बना रहे थे तो कबूतर को बड़ा ही घमंड आ गया और उसने कहा कि मै सीख गया हूं अब आप लोग जा सकते हो मैं अपना घोंसला खुद बना सकता हूं पक्षियों ने भी उसकी बात मान ली और वह चले गए जो कबूतर ने अपने प्रयासों से घोसला बनाने का प्रयत्न किया तो उसने देखा कि वह घोंसला नहीं बना पा रहा है ।Kabotar ka Ghonsla भी नहीं बस उसका घमंड था जिसकी वजह से उसने और पक्षियों को भगा दिया दूसरी बार फिर से आ गए और कुछ देर बाद ही कबूतर ने घमंड में आकर कहा कि मैं पूरी तरह से सीख गया हूं अब आप जा सकते हैं पक्षियों को इस बार बहुत गुस्सा आ गया और उन्होंने दोबारा लौट कर ना आने का निश्चय किया और जब दोबारा कबूतर ने कोशिश की तो कबूतर इस बार भी घोंसला नहीं बना पाया Kabotar ka Ghonsla
और अब की बार मदद मांगने और पक्षियों के पास पहुंचा तो अबकी बार पक्षियों ने मदद करने से बिल्कुल मना कर दिया और कबूतर का घोंसला कभी बन ही नहीं पाया इसी की वजह से कहते हैं कि यदि हम किसी से मदद मांग रहे हैं किसी से कोई काम सीख रहे हैं तो हमें उसे पहले अच्छी तरह से सीख लेना चाहिए और घमंड बस हमें हमारी मदद करने वाले व्यक्ति का अनादर नहीं करना चाहिए।
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हमें इस कहानी से यह सीख मिलती है कि यदि हमारी मदद के लिए कोई व्यक्ति आता है तो हमें उसका आदर करना चाहिए और उससे इज्जत पूर्ण शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए हमें घमंड तो बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए यदि हमारी मदद कोई व्यक्ति करता है वह हमारे लिए अपना वक्त निकालता है तो हमें उस चीज का आदर करना चाहिए और सम्मान पूर्वक उससे हम ना धन्यवाद देना चाहिए ना कि उसकी बेइज्जती करके उसे भगा देना चाहिए।