मैं एक Reiki Grand Master हूँ । मुझे अच्छे से पता है कि How to Activate Seven Chakras With Reiki Healing । इस विषय पर मैं अपना Experience आपके सामने साझा करूंगा ।
Table of Contents
How to Activate Seven Chakras: –
सात चक्रों का जाग्रत करने की विशेष विधि
- Reiki हीलिंग से
- Reiki प्रतीकों से
- प्रत्येक चक्र पर मन एकाग्र करके
- स्फटिक द्वारा
- चक्रों पर पिरामिड रखकर
- अल्फा संगीत के द्वारा
- प्रत्येक चक्र के बीज मन्त्र को उच्चारण करने से
- स्वाश-प्रस्वाश विधि से
- सकारात्मक स्वसूचन विधि से
रेकी हीलिंग से (7 chakra healing in hindi):-
सात चक्रों को जाग्रत करने का सबसे अच्छा तरीका (How to Activate Seven Chakras) प्रतिदिन सातों चक्रों की रेकी हीलिंग करनी चाहिए। प्रतिदिन Reiki उपचार करने के सुप्त हुए चक्र जाग्रत होते हैं। मैने स्वयं अपने चक्रों को जाग्रत करने के लिए अनेक विधियां अपनाई परन्तु Reiki Healing उन सबसे श्रेष्ठ है। क्योंकि इस विधि में हम चक्रों को सीधे उर्जा देते हैं।
मात्र कुछ दिनो के रेकी उपचार के बाद हम महसूस कर सकते हैं कि हमारे चक्र जाग्रत हो गए हैं। यह पता करने के लिए कि रेकी उपचार से हमारा कौन सा चक्र जाग्रत हुआ है और कौन सा नही, के लिए चक्रा स्कैनर का प्रयोग किया जा सकता है। चक्रों को जाग्रत करने से पहले उनको शुद्ध करना चाहिए। शुद्ध करने के लिए रेकी शक्ति का आवाह्न करें।
फिर सहस्रार चक्र पर हथेली रखकर मन ही मन कहें हे! रेकी शक्ति मेरे सहस्रार चक्र को शुद्ध करो-3। सभी अवरोधों को दूर करो-3। फिर ऐसे ही मूलाधार चक्र तक करें। चक्रों को जाग्रत करने के लिए रेकी शक्ति का आवाह्न करें। फिर मूलाधार चक्र पर हथेली रखकर मन ही मन कहें हे! रेकी शक्ति मेरे मूलाधार चक्र को जाग्रत करो-3।
You must see below Video:-
How to control your Mind? By Sandeep Maheshwari
ऐसा सहस्रार चक्र तक क्रमश करें। प्रत्येक चक्र पर कम से कम 5 मिनट तक रेकी उपचार करना चाहिए। अन्त में कहें मेरे सभी चक्र जाग्रत है-51। यह क्रिया प्रतिदिन करनी चाहिए। Reiki उपचार के बाद Reiki शक्ति को बन्द करें। सबका धन्यवाद करें। रेकी को वापस ब्रह्मांड में भेजे।
Reiki प्रतीकों से-
जैसा कि पहले भी बताया जा चूका है कि रेकी सिम्बलों द्वारा किया गया रेकी उपचार बहुत शक्तिशाली होता है। 1 से सभी चक्रों को जाग्रत करना चाहिएा अनादहत चक्र, मणिपुर चक्र, व आज्ञाचक्र पर रु 1 2 1 से रेकी उपचार करना चाहिए। शुद्ध करते समय उपर से नीचे की ओर आते हैं। हथेलियों को प्रत्येक चक्र पर ऐन्टी क्लाक वाइज घुमाते हैं बल्कि जाग्रत करने के लिये नीचे से उपर की तरफ जाते हैं और हथेलियों को क्लाकवाइज घुमाते हैं।
प्रत्येक चक्र पर मन एकाग्र करकेः-
चक्रों को जाग्रत करने की यह भी एक शक्तिषाली विधि है। इस विधि में प्रत्येक चक्र पर मन को एकाग्र किया जाता है। इस विधि को करने के लिए सुखासन में कुर्सी पर बैठकर या फिर लेटर भी की जा सकती है। सुखासन में बैठ कर एक मिनट तक अपनी स्वशों पर ध्यान को केन्द्रित करें। फिर आँखें बन्द करके पूरा का पूरा ध्यान अपने मूलाधार पर लेकर जाएँ।
मन ही मन कहें मेरा मूलाधार चक्र जाग्रत हो-3। मूलाधार चक्र की छवि व रंग को ध्यान रखें। एक चक्र पर कम से कम 5 मिनट तक ध्यान लगाएँ रखें। ऐसा सह्सार चक्र तक करें। इस विधि को करने के लिए कोई जल्दबाजी न करें। इस विधि का अभ्यास धीरे-2 आगे बढ़ता है। यदि कम समय है तो कम समय के लिए यह क्रिया करें। परन्तु सभी चक्रों पर अवष्य करे। धीरे-2 आपके चक्र जाग्रत होने प्रारम्भ हो जायेंगे। चक्र स्थान पर संपदन व सनसनाहट चक्र जाग्रत होने की ओर संकेत करते हैं।
स्फटिक द्वाराः-
इस विधि में चार्ज स्फटिक की पैन्सिल व चार्ज स्फटिक पिरामिड का प्रयोग किया जाता है। चक्रों को शुद्ध करने के लिए 21 चार्ज क्रिस्टल का प्रयोग किया जाता है। चक्रों को शुद्ध करने के लिए व नकारात्मक उर्जा को शरीर से निकालने के लिए चार्ज स्फटिक पैन्सिल को उल्टा करके प्रत्येक चक्र पर रखा जाता है अर्थात् पैंसिल का मुह मूलाधार चक्र की तरफ होना चाहिए। सातों चक्रां पर सात पैंसिल व दो-दो पैंन्सिल शरीर के साथ में रखी जाती है।
इस क्रिया को केवल लेटकर ही किया जा सकता है। चक्रों को चार्ज करने के लिए इन पैन्सिलों का मुह सह्सार चक्र की तरफ करना चाहिए। एक अवस्था में कम से कम 15 मिनट तक विश्राम करना चाहिए। चक्रों को शुद्ध करते समय मन ही मन दोहराएँ मेरे सभी चक्र शुद्ध हो रहे हैं-3, सभी अवरोध दूर हो रहे हैं-3। चक्रों को जाग्रत करते समय मन ही मन दौहराएँ। मेरे सभी चक्र जाग्रत हो रहे है-3। इस सम्पूण विधि को करने के लिए 30 मिनट का समय लगता है।
चक्रों पर पिरामिड रखकरः-
पिरामिड सकारात्मक उर्जा के बहुत बड़े स्त्रोत हैं। लेटकर प्रत्येक चक्र पर चार्ज स्फटिक, धातु या लकड़ी का पिरामिड रखें। इसी अवस्था में 30 मिनट तक लेटे रहें। म नही मन दौहराएँ मेरे सभी चक्र जाग्रत हो रहे हैं-3। अन्त में 5 मिनट दौहराएँ – मेरे सभी चक्र जाग्रत हैं-3। जब ऐसी कोई भी क्रिया करें मन का संकल्प दृड़ होना चाहिए। मन के संकल्प कम से कम शब्दों में व स्पश्ट होना चाहिए। मन ही मन विश्वास भी करना चाहिए कि ऐसा हो रहा है। तभी ऐसी क्रियाओं का लाभ मिल पाएगा। आजमाने के लिए ऐसी क्रिया नही करनी चाहिए।
अल्फा संगीत के द्वाराः-
इस विधि को तीनों तरह से किया जा सकता है- लेटकर, कुर्सी पर बैठकर व सुखासन में बैठकर। मैं इस विधि को लेटकर करने की सलाह देती हूँ। इस विधि को करने के लिए एक शांत कमरें का चयन करें। अल्फा संगीत चलाएँ। कमरे में न अधिक रोशनी हो और न ही बिल्कुल अन्धेरा। यदि इस क्रिया को दिन में करें तो कमरे में पर्दे लगाएँ। कमरे में केवल हल्का प्रकाश हो।
बैड या पलंग पर लेटकर शरीर को ढीला छोड़ दें।पहले अपने पैरों को ढीला छोड़ें फिर शरीर का उपर वाला हिस्सा ढीला छोड़ते जाएँ। फिर दोनों हाथों को ढिला छोड़े। कंधों को, गर्दन को, नाक, कान व आँख ढीला छोड़ें। मन ही मन करें मेरे दोनो पैर घुटने, जंघाएं और इसी प्रकार शरीर के उपर के अन्य अंग षांत होने जा रहे हैं-3। इसी अवस्था में 30 मिनट तक लेटे रहें।
यह क्रिया एक लम्बी क्रिया है इस क्रिया में हमारे चक्र स्वतः ही जाग्रत हो जाते हैं। इस क्रिया से उठने के बाद हम तरोताजा महसूस करते हैं। यह इस बात का संकेत है कि शरीर में सकारात्मक उर्जा का संचारण हो रहा है। इस क्रिया को नियमित रूप से करना चाहिए। जब हम इस क्रिया को लगातार 6 माह तक प्रतिदिन करते हैं तो हमें आश्चर्यजनक परिणाम मिलते हैं।
हमारी याद करने की शक्ति बढ़ती है। हमारा स्वभाव सकारात्मक होता है। हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। आभामण्डल शक्तिषाली होता है, हमारा व्यक्तित्व भी प्रभावशाली बनता है। यह सभी शुभ संकेत होते हैं। ये सभी शुभ संकेत करते हैं कि धीरे-2 हमारे चक्र जाग्रत हो रहे हैं। और अधिक अभ्यास से मनचाहे परिणाम प्राप्त किया जा सकते हैं।
प्रत्येक चक्र के बीज मन्त्र को उच्चारण करने सेः-
जैसा कि पहले भी बताया गया है कि हमारे सात मुख्य चक्र होते हैं। प्रत्येक चक्र का एक बीज मन्त्र होता है। ये बीज मन्त्र है लं, वं, रं, यं, हं, ऊॅं। मूलाधार चक्र का बी मंत्र लं, स्वाधिष्ठान चक्र का – वं, मणिपुर चक्र का रं, अनाहद चक्र का-यं, विशुद्ध चक्र का- हं, और आज्ञा चक्र का ऊॅं है। सह्सार चक्र में अनेक बीज मन्त्र होते हैं। इस विधि को सुखासन में बैठकर ही करना चाहिए। सुखासन में बैठने के बाद प्रत्येक चक्र के बीज मंत्र का उच्चारण जोर-2 से करना चाहिए।
प्रत्येक बीज मंत्र को 5 मिनट तक उच्चारण करना चाहिए। सबसे पहल मूलाधार, फिर स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहद, विशुद्ध व आज्ञा चक्र के बीज मन्त्र का उच्चारण करना चाहिए। जब चक्र के बीज मन्त्र का उच्चारण करें तब उस चक्र की छवि व स्थिति का भी ध्यान करें। जैसे आपने मूलाधार चक्र के बीज मन्त्र का उच्चारण किया है तब मूलाधार चक्र का रंग लाल, स्थिति रीड़ की हड्डी का सबसे नीचला हिस्सा और उसकी छवि का ध्यान करना चाहिए। ऐसा नियमित करने से धीरे-2 हमारे चक्र जाग्रत होते हैं।
स्वाश-प्रस्वाश विधि सेः-
इस विधि को सुखासन में बैठकर ही करना चाहिए। सबसे पहले पूरा का पूरा ध्यान अपनी स्वशों पर लेकर जाएँ। प्रत्येक आने वाली स्वाश व जाने वाली स्वाश को पूरे ध्यान से महसूस करें। यह महसूस करें कि आने वाली स्वाश कैसी है। ठण्डी या गर्म। ऐसे ही जाने वाली स्वाश को भी महसूस करें। यह महसूस करें कि स्वाश बाएँ नथूने से आ रही है या दाएँ नथूने से या फिर दोनों नथूनों से। यह भी महसूस करें कि स्वाश नथूने के किस हिस्से को स्पर्श कर रही है।
इस विधि को करने के लिए बड़े ही धैर्य की आवश्याकता होती है। इस विधि का अभ्यास धीरे-2 आगे बढ़ता है। अब अपना पूरा का पूरा ध्यान मूलाधार चक्र पर लेकर जाएं। स्वाश की गति स्वाभाविक होनी चाहिए। स्वाश की गति को रोकने के लिए व लेने के लिए आपको कुछ भी नहीं करना है। स्वाश को स्वतः ही आने दे व जाने दें। अपना प्रयास उसके अन्दर न जोड़ें।
अब महसूस करें कि मूलाधार चक्र में क्या हलचल हो रही है? फिर क्रमश आगे के चक्रों पर भी 5 मिनट तक ध्यान कर महसूस करें कि उस चक्र में क्या हलचल हो रही है। इस विधि में स्वशों का बहुत महत्व है। जब तक आपको स्वशों का सही ज्ञान न हो आगे न बढ़ें।इस क्रिया का नियमित अभ्यास करने से धीरे-2 चक्र जाग्रत होते हैं। उपरलिखित सभी क्रियाओं को करने के लिए रेकी मास्टर से अवश्य सलाह लेनी चाहिए।
सकारात्मक स्वसूचन विधि सेः-
मन ही मन सकारात्मक वाक्य दोहराने मात्र से भी सातों चक्रों का जाग्रत होते हैं। मन ही मन यह सकारात्मक वाक्य दोहराने चाहिए-
1. मेरे सातों चक्र चार्ज हैं…..हील हैं….जाग्रत हैं….
2. मेरे सातों चक्रों की उर्जा सन्तुलित है….
यह विधि बहुत ही शक्तिशाली विधि है। इस विधि से सातों चक्रों का जाग्रत किया जा सकता है। इस विधि का प्रयोग करने के लिए अलग से कोई समय देने की कोई आवश्यकता नहीं होती। इस विधि का प्रयोग किसी भी समय या स्थान पर किया जा सकता हैं। आपको सिर्फ इतना करना है कि मन ही मन उपरलिखित वाक्यों कों दौहराना मात्र है। प्रतिदिन कम से कम 11 बार इन वाक्यों कों दौहराना चाहिए।
ऊपर हमने पूरे विस्तार से बताया है कि How to Activate Seven Chakras मतलब की सातों चक्रों को कैसे जागृत किया जाए ।
FAQ Related To 7 chakra healing in hindi
What are the 7 healing Chakras ?( 7 Healing Chakras कौनसे हैं?)
7 Healing Chakras होते हैं Root Chakra , Sacral Chakra , Solar Plexus Chakra , Heart Chakra ,Throat Chakra ,Third Eye Chakra ,Crown Chakra।
Which Chakra is Associated With Healing?( Healing के लिए कौनसा chakra associate होता है?)
The Solar Plexus Chakra वो चक्र होता है जिससे आप अपनी body को heal कर देते हैं । उसकी मदद से हीलिंग process को initate किया जाता है और इस चक्र को हम control कर सकते हैं।
Which Chakra is for Emotional Healing ?( Emotinal Healing के लिए कौनसा chakra होता है?)
Heart Chakra एक ऐसा ऐसा चक्र है जो इमोशन हीरोइन के लिए बहुत ही ज्यादा बेस्ट मारा जाता है इस चक्र का डायरेक्ट रिलेशन होता है हमारे emotions से इसकी मदद से हम अपने senses को ही भी कर सकते हैं और यदि हमने इस चक्र को control कर लिया तो हमारे emotional healing के लिए हो बहुत ही बेहतर उपाय होता है।
Final words 7 chakra healing in hindi:-
मैंने अपना अनुभव इस आर्टिक्ल में साझा किया है । मैं आशा करता हूँ कि आपको यह आर्टिक्ल How to Activate Seven Chakras पसंद आया होगा । अपना किमती समय देने के लिए धन्यवाद ।