आओ जाने विद्यार्थी के जीवन में नैतिक शिक्षा का महत्व पर निबंध (Naitik Shiksha Ka Mahatva Par Nibandh) हिन्दी में कैसे लिखें, How to write short essay on Importance of moral education in hindi और नैतिक शिक्षा के महत्व पर प्रस्ताव कैसे लिखें ।
आज के समय में विश्व के सभी देशो की सामाजिक तथा सांस्कृतिक उन्नति वहाँ की शिक्षा पर निर्भर करती हैं। अच्छी शिक्षा जीवन को संतुलित व अनुशासित बनाती हैं। शिक्षा के माध्यम से मनुष्य एक सफल इंसान बन जाता हैं। लेकिन शिक्षा के अलावा नैतिक शिक्षा भी मनुष्य के लिए बहुत जरूरी हैं।
क्योकि नैतिक शिक्षा मनुष्य के जीवन को बेहतर बनाती हैं। इसके बिना मानव का विकास असंभव हैं। देश के विकास के लिए नैतिक शिक्षा बेहद जरूरी हैं। भारतीय युवा पीढी को नैतिक शिक्षा के बारे में जागरूक करना चाहिए।
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How to write short essay on Importance of moral education in hindi
नैतिक शिक्षा का अर्थ: नैतिक शिक्षा वह प्रक्रिया हैं जिसके कारण लोग दूसरो के जीवन मे नैतिक मूल्यो को प्रभावित करते हैं। यह कार्य घर, विद्यालय, मन्दिर, जेल, मंच या किसी सामाजिक विद्यार्थियो को नैतिकता, सत्य भाषण, सहनशीलता, विनम्रता, प्रमाणिकता, आदि सभी गुणो को प्रदान करती हैं। नैतिक शिक्षा मनुष्य की मूल सम्पति होती हैं। और इस अमूल्य सम्पती के आगे सभी सम्पति बेकार हैं। नैतिक शिक्षा से ही राष्ट्र निर्माण होता हैं। और देश नया सुदृढ होता हैं।
नैतिक शिक्षा की आवश्यकता: आजकल के बच्चे अपने गुरूओ का आदर और मता का सम्मान नही करते हैं। पूरे समाज में ही अराजकत फैली हैं। क्योकि हमारी शिक्षा में कमी हैं। और हमे नैतिक शिक्षा की आवश्यकता हैं। क्योकि नैतिक शिक्षा मनुष्य व विद्यार्थियो के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। नैतिक शिक्षा के कारण ही समाज में प्रगति होगी। और नैतिक भावनाएँ समाज में जागृत होगी। इसलिए विद्यार्थियो के जीवन में नैतिक शिक्षा बहुत जरूरी हैं। स्कूलो और कोलेजो, यूनिवर्सिटी में भी नैतिक शिक्षा को प्रधानता (मान्यता) देनी चाहिए। नैतिक शिक्षा से संबधित सिलेबस सिस्टम बनाना चाहिए।
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नैतिक शिक्षा के उद्देश्य: नैतिक शिक्षा का उद्देश्य मानव को सही अर्थो में मानव बनाना हैं। उसमें आत्मनिर्भरता की भावनाए उत्पन्न करना। और चरित्र निर्माण करना, सभी का आदर करना, हिंसा ना करना, चोरी ना करना, झूठ ना बोलना, तथा सभी से प्रेम करना, सामाजिक बुराईयो का अंत करना, समाज सेवा भाव पैदा करना, लोगो की सहायता करना आदि नैतिक शिक्षा के अन्तर्गत आते हैं।
नैतिक शिक्षा का उद्देश्य समाज और व्यक्ति और राष्ट्र इन सभी के लिए जरूरी हैं। नैतिक शिक्षा के द्वारा ही विद्यार्थी अपने चरित्र और सुंदर व्यक्तित्व का निर्माण कर सकता हैं। नैतिक शिक्षा से ही विद्यार्थी का भविष्य उज्जवल होता हैं। तथा देश के भावि नागरिक होने से उनमे पूरे राष्ट्र को नैतिक आचरण का लाभ मिलता हैं।
नैतिक शिक्षा से बच्चो में सामाजिक भावना जागृत होती हैं। जब बच्चो में नैतिक शिक्षा का विकास होता हैं। तब वे समझने लगते हैं। की कौन से कार्य उचित हैं और कौन से कार्य अनुचित हैं। नैतिक शिक्षा से अच्छे गुणो और अच्छी आदतो का विकास होता हैं। और नैतिक शिक्षा मानव के व्यक्तित्व का विकास भी करती हैं। नैतिक शिक्षा से ही विद्यार्थीयो में देशभक्ति की भावना जन्म लेती हैं। जिससे वे देश के हित में कार्य कर सके।
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हमारे जीवन नैतिक शिक्षा का क्या महत्व हैं?
नैतिकता हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण हैं। ये शिक्षा हमे सही गलत के बीच अंतर समझने में मदद करती हैं। यह हमे कार्य करने की शक्ति प्रदान करती हैं। नैतिकता हमारे जीवन को दृढ और आनंदमय बनाने के लिए मार्गदर्शन करती हैं। नैतिकता मानव के संबंधो, समाज के नियमो को लागू करने में सहायता करती हैं।
नैतिक शिक्षा के चार उद्देशय क्या हैं?
(1) सभी का आदर करना (2) कभी झूठ ना बोलना (3) सभी से प्रेम करना (4) लोगो की सहायता करना आदि कार्य नैतिक शिक्षा कहलाती हैं।
नैतिक शिक्षा का क्या अर्थ हैं?
नैतिक शिक्षा समाज के प्रत्येक व्यक्ति को सम्पूर्ण, समाज तथा देश में प्रगति का कार्य करती हैं। नैतिक शिक्षा वह हैं जो लोग दूसरो में नैतिक मूल्यो का संचार करते हैं। नैतिक शिक्षा से समाज का निर्माण किया जा सकता हैं।
नैतिक शिक्षा के कितने उद्देश्य हैं?
नैतिक शिक्षा के कई उद्देश्य होते हैं जैसे कभी झूठ ना बोलना, सभी का आदर करना, लोगो की सहायता करना, सभी से प्रेम करना, चोरी ना करना, समाज सेवा का भाव पैदा करना, मानव के चरित्र का निर्माण करना, हिंसा ना करना, मानव को सही अर्थो में मानव बनाना तथा उसमे आत्मनिर्भरता की भावनाए पैदा करना आदि नैतिक शिक्षा के उद्देश्य होते हैं।
नैतिकता का लाभ क्या हैं?
नैतिकता से हम ईमानदारी से जीवन व्यतीत कर सकते हैं। और जो व्यक्ति हमारे सम्पर्क में आते हैं। उनको विश्वास की और बढाते हैं। नैतिकता विश्व के समक्ष आदर्श उपस्थित कर सकती हैं।
नैतिकता का पूरा अर्थ क्या हैं?
नैतिकता का पूरा अर्थ जीवन को जीने का तरीका होता हैं। नैतिकता दर्शन की एक टहनी हैं। जो मानव आचरण और समाज में व्यक्तियो के व्यवहार से जुडी होती हैं।
नैतिकता कितने प्रकार की होती हैं?
नैतिकता एक अनुशासन के रूप में, मानव नैतिकता, व्यवहारिक नैतिकता, और मेटाएथिक्स आदि होते हैं।
नैतिक शिक्षा का मूल उद्देश्य क्या हैं?
नैतिक शिक्षा का मूल उद्देश्य मानव को सही अर्थो में मानव बनाना होता हैं। और उसके जीवन में आत्मनिर्भर भावनाए पैदा करना होता हैं। नैतिक शिक्षा मानव के जीवन को आनंदमय बना देती हैं।
नैतिक शिक्षा से क्या लाभ हैं?
नैतिक शिक्षा से हम अपने जीवन को ईमानदार लोगो की सहायता करना, मनुष्य के जीवन को उच्च आदर्शो की प्रेरणा मिलती हैं। नैतिक शिक्षा से विद्यार्थी के चरित्र का निर्माण होता हैं। क्योकि अच्छा चरित्र ही मनुष्य के जीवन का मूल आधार होता हैं। बच्चो में करूणा और सहानभूती को बढावा देती हैं। दुसरो के साथ दयालु और सम्मान के साथ व्यवहार करने के महत्व के बारे में सिखाती हैं। नैतिक शिक्षा छात्रो को दूसरो के प्रति दया की भावना विकसित करने में सहायता करती हैं।
नैतिकता के पाँच लाभ क्या हैं?
(1) समाज को टूटने से बचाना (2) मानव के दुखो को कम करना (3) मानव के उत्साह को बढावा देना (4) दोषियो को दण्ड देना (5) प्रशंसा और दोष देना, अच्छे को पुरस्कार देना इत्यादि।
छात्रो के जीवन में नैतिक मूल्यो का क्या महत्व हैं?
छात्रो के जीवन में नैतिक मूल्यो का ये महत्व हैं कि वे अपने संस्कार, संस्कृति, परिवार और देश से प्यार करना तथा उनसे जुडे रहने के लिए हमेशा नैतिक शिक्षा की और बने रहना सिखाता हैं। नैतिक मूल्य अच्छे लोगो के साथ सम्बंध बनाने की कुंजी हैं।
एक छात्र के रूप में नैतिकता का क्या महत्व हैं?
यह छात्रो को अपने कार्यो के परिणामो पर विचार करना और ऐसे विकल्प चुनना सिखाता हैं जो केवल छात्रो के लिए ही नही बल्कि दूसरो के लिए भी फायदेमंद होता हैं। नैतिक शिक्षा छात्रो को ईमानदार, सम्मान, सत्य पर चलना, और जिम्मेदारी जैसे सिद्धांतो और मूल्यो के बारे में समझने मे सहायता करती हैं।
शिक्षा के प्रथम पिता कौन हैं?
लार्ड मैकाले को भारत में आधुनिक शिक्षा का जन्म दाता माना जाता हैं।
शिक्षा के प्रथम पिता कौन हैं?
(कन्फयूशियस) Confouis को प्राचीन चीन का शिक्षा जनक माना जाता हैं। वह एक दार्शनिक और शिक्षक थे। उन्होने शिक्षा के मूल्यो को बढावा दिया।
भारत में शिक्षा के पिता कौन हैं?
भारत में शिक्षा पिता थामस बैबिंगटन हैं। जिन्हे लार्ड मैकाले के नाम से भी जाना जाता हैं। इनको भारत में अंग्रेजी भाषा और भारतीय शिक्षा का पिता माना जाता हैं। लार्ड मैकाले एक शिक्षाशास्त्री, राजनीतिज्ञ और कुशल प्रशासक थे।
शिक्षा की खोज किसने की थी?
शिक्षा की खोज होरेस मान ने की थी। इस व्यक्ति को स्कूल की अवधारणा का आविष्कारक माना जाता हैं।
नैतिक शिक्षा कौन सा विषय हैं?
नैतिक शिक्षा वह हैं जिसके माध्यम से लोग एक दूसरो में नैतिक मूल्यो का संचार करते हैं। सभी का आदर करना, हिंसा ना करना, कभी झूठ ना बोलना, लोगो की सहायता करना आदि नैतिक शिक्षा कहलाती हैं। इसलिए छात्र को जीवन में नैतिक शिक्षा को अपनाना चाहिए।
नैतिक शिक्षा का अर्थ क्या हैं?
ऐसा व्यवहार जिसके कारण सबकी रक्षा हो सके। नैतिक शिक्षा समाज का वह तत्व हैं। जिसकी उपस्थिती में सभ्य समाज का निर्माण किया जा सकता हैं।
नैतिकता से आप क्या समझते हैं?
नैतिकता से हम अपने जीवन को आनंदमय बना सकते हैं। नैतिकता वह अनुशासन हैं जो नैतिक रूप से अच्छा और बुरा और सही गलत, उचित या अनुचित हैं ये समझाती हैं। यह व्यक्ति व समाज के आचरण, चरित्र, परम्पराओ के मूल्यो को निर्धारित करता हैं।
Final Words For Naitik Shiksha Ka Mahatva Par Nibandh
आज के समय में नैतिक शिक्षा बहुत जरूरी हैं। नैतिक शिक्षा ही मनुष्य को मनुष्य बनाती हैं। नैतिक शिक्षा से राष्ट्र सदृढ का निर्माण होता हैं। क्योकि नैतिक शिक्षा ही मनुष्य के जीवन को बेहतर बनाती हैं। नैतिक शिक्षा के बिना हमारा जीवन व्यर्थ हैं। नैतिक शिक्षा ही व्यक्ति व समाज के आचरण, चरित्र मूल्यो को निर्धारित करती हैं। नैतिक शिक्षा छात्रो को दूसरो के प्रति दया की भावना को विकसित करने में सहायता प्रदान करती हैं। नैतिक शिक्षा से हम ईमानदारी से जीवन व्यतीत कर सकते हैं।
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