इस आर्टिकल में पढ़ें Biography of Meera Bai in Hindi, मीराबाई का जीवन परिचय, मीराबाई का परिवार व उनका बचपन, मीराबाई का वैवाहिक जीवन, मीराबाई की कृष्ण भक्ति व मीराबाई की मृत्यु कैसे हुई आदि के बारे में।
Biography of Meera Bai in Hindi : दोस्तों भक्ति या भगवान के प्रति समर्पण की भारतीय परंपरा एक ऐसी परंपरा रही है जो प्राचीन समय से लेकर आज तक चली आ रही है। यह एक ऐसी परंपरा है जिसका आकर्षण सार्वभौमिक है और जिसने सभी संस्कृतियों और धर्मों के लोगों को आकर्षित किया है। ऐसी ही एक संत थीं मीराबाई जो सोलहवीं शताब्दी में रहती थीं जो भगवान कृष्ण की बहुत बड़ी भक्त थीं।
आज हम इस ब्लॉग Biography of Meera Bai in Hindi के माध्यम से उनके जीवन से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी आपको देंगे इसलिए दोस्तों यदि आप भी मीराबाई का जीवन परिचय जानना चाहते हैं उनकी कहानी पढ़ना चाहते हैं तो यह Biography of Meera Bai in Hindi पूरी अवश्य पढ़ें।
Table of Contents
Who was Meera Bai? (मीराबाई कौन थी?) [Biography of Meera Bai in Hindi]
मीराबाई का जीवन परिचय:- मीराबाई एक मध्यकालीन हिंदू आध्यात्मिक कवि और कृष्ण भक्त थीं। वह भक्ति आंदोलन की सबसे लोकप्रिय भक्ति-संत में से एक थीं। भगवान कृष्ण को समर्पित उनके भजन आज अभी भी उत्तर भारत में बहुत लोकप्रिय और पूजनीय हैं। मीराबाई का जन्म राजस्थान के एक शाही परिवार में हुआ था। मीराबाई के पास जीवन को लेकर कई किंवदंतियां हैं। ये सभी किंवदंतियां मीराबाई की बहादुरी की कहानी कहती हैं और कृष्ण के प्रति उनके प्रेम और भक्ति को दर्शाती हैं। इस जानकारी के माध्यम से यह भी ज्ञात होता है कि कैसे मीराबाई ने सामाजिक और पारिवारिक कर्तव्यों का बहादुरी से मुकाबला किया और कृष्ण को अपना पति मानकर उनकी भक्ति में सदा के लिए लीन हो गईं।
Meera Bai’s birth and early life (मीराबाई का जन्म व प्रारंभिक जीवन)
मीराबाई की जीवनी:- मीराबाई का जन्म 1498 में (राजस्थान) के मेड़ता गाँव में रतन सिंह के कुर्की में एक राठौर राजपूत शाही परिवार में हुआ था। मीराबाई के पिता रतन सिंह राठौर एक जागीरदार थे और माता वीर कुमारी थीं। मीराबाई का पालन-पोषण उनके दादा-दादी ने किया। उनकी दादी भगवान कृष्ण की परम भक्त थीं जो भगवान में बहुत विश्वास करती थीं।
दोस्तों मीराबाई के जीवन पर कोई विश्वसनीय ऐतिहासिक दस्तावेज तो नहीं है लेकिन विद्वानों ने मीराबाई के जीवन को साहित्य एवं अन्य स्रोतों से उजागर करने का प्रयास किया है और उन दस्तावेज़ के अनुसार मीराबाई का जन्म 1498 में राजस्थान के मेड़ता में एक शाही परिवार में हुआ था।
Meera Bai’s family and her childhood (मीराबाई का परिवार व उनका बचपन)
दोस्तों उनके पिता रतन सिंह राठौर एक छोटे से राजपूत राजघराने के शासक थे। वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी और जब वह छोटी थी तब उनकी माँ की मृत्यु हो गई। उन्हें संगीत, धर्म, राजनीति और शासन जैसे विषय पढ़ाए जाते थे। मीराबाई का पालन-पोषण उनके दादा की देखरेख में हुआ, जो भगवान विष्णु के एक गंभीर उपासक और एक योद्धा होने के साथ-साथ एक भक्त और संत थे। इसलिए, मीरा कम उम्र से ही संतों और धार्मिक लोगों के संपर्क में आ गईं थी।
Meera Bai’s married life (मीराबाई का वैवाहिक जीवन)
मीराबाई का विवाह 1516 में राणा सांगा के पुत्र और मेवाड़ के राजकुमार भोज राज से हुआ था। उनके पति भोज राज 1518 में दिल्ली सुतनत के साथ चल रहे युद्धों में से एक में घायल हो गए थे और 1521 में उनकी मृत्यु हो गई थी। उनके पति की मृत्यु के कुछ वर्षों के भीतर, उनके दोनों मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर के साथ खानवा की लड़ाई में पिता और उनके ससुर भी मारे गए थे। अपने ससुर राणा सांगा की मृत्यु के बाद, विक्रम सिंह मेवाड़ के शासक बने।
Meera Bai’s devotion to Krishna (मीराबाई की कृष्ण भक्ति)
अपने पति की मृत्यु के बाद, मीराबाई की भगवान के प्रति भक्ति दिन-ब-दिन बढ़ती गई। मीराबाई अक्सर मंदिर जाती थीं और कृष्ण की मूर्ति के सामने कृष्ण के भक्तों के सामने नृत्य करती थीं। मीराबाई की कृष्ण भक्ति और इस तरह नाचना-गाना उनके पति के परिवार को पसंद नहीं आया, जिसके कारण उन्हें जहर देकर मारने की कई कोशिशें हुईं लेकिन उनके ससुराल वाले इसमें नाक़ाम रहें क्योंकि मीराबाई एक हिंदू रहस्यवादी और कृष्ण की परम्भक्त बन गई और उन पर जब तक श्री कृष्ण की असीम कृपा भी हो चुकी थी।
आज भी वह विश्व भर में अपनी कविता के लिए प्रसिद्ध हैं, जो कृष्णा के प्रति उनके गहन प्रेम को व्यक्त करती है। उनकी कविताएँ आज भी लोकप्रिय हैं और बहुत से लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनके सरल, हार्दिक छंद कृष्ण के प्रति उनकी गहरी भक्ति और उनके लिए उनके अनारक्षित प्रेम को दर्शाते हैं।
Meera Bai’s works and poems (मीराबाई की रचनाएँ व कविताएँ)
यहाँ मीराबाई की रचनाएँ व कविताओं के बारे में बताया गया है जो मीराबाई का जीवन परिचय दर्शाती हैं:
मीराबाई की रचनाएँ हैं: राग गोविंद, गोविंद टीका, राग सोरठा, मीरा की मल्हार, मीरा पदावली, नरसी जी का मायरा। उन्होंने ज्ञान से ज्यादा भावनाओं और सम्मान को महत्व दिया।
मीराबाई की कविताएँ हैं: मीराबाई की कई रचनाओं में एक दार्शनिक अर्थ है। मीराबाई के बारे में हम जो कुछ भी जानते हैं, वह उनकी कविताओं से है। उनकी कविता उनकी इच्छाओं और उनकी आत्मा को श्रीकृष्ण से मिलने की इच्छा व्यक्त करती है। कभी उसके बिछड़ने की व्यथा तो कभी दैवीय मिलन की प्रसन्नता व्यक्त होती है। उनकी भक्ति कविताओं को भजन के रूप में गाए जाने के लिए डिजाइन किया गया था, और कई आज भी गाए जाते हैं। उनकी सबसे लोकप्रिय रचनाओं में से एक “पयोजी मैंने राम रतन धन पायो” बनी हुई है। मीरा की कविताएँ राजस्थानी भाषा में गीतात्मक पद हैं।
Meera Bai’s spiritual legacy and her message (मीराबाई की आध्यात्मिक विरासत व उनका सन्देश)
मीराबाई ने खुद को अपनी आध्यात्मिक साधना के लिए समर्पित कर दिया और हिंदू देवी-देवताओं की स्तुति में गायन और भक्तिपूर्ण कविताएँ लिखने का जीवन व्यतीत किया। उनकी कविताएँ सदियों से मौखिक परंपराओं के माध्यम से चली आ रही हैं और आज भी पढ़ी जाती हैं। मीराबाई की आध्यात्मिक यात्रा मुक्ति और आत्म-परिवर्तन में से एक थी। वह सामाजिक उम्मीदों के बंधनों से छुटकारा पाने और अपने दिल में सच्ची खुशी और आजादी पाने में कामयाब रही। उनकी विरासत दुनिया भर के लोगों को अपनी दिव्य प्रकृति से जुड़ने और जीवन की खुशियों का जश्न मनाने के लिए प्रेरित करती रही है।
Meera Bai’s death (मीराबाई की मृत्यु)
मीराबाई का जीवन परिचय में मीराबाई की मृत्यु कब हुई, इसका निश्चित रूप से कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है। हालांकि, यह अनुमान लगाया जाता है कि मीराबाई की मृत्यु 1547 में हुई थी। यहां तक कहा जाता है कि मीराबाई कृष्ण की मूर्ति में जादुई रूप से गायब हो गई थीं। हालाँकि, इसका कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है। कई लोग मीराबाई की मृत्यु को एक रहस्य मानते हैं।
FAQs about Biography of Meera Bai in Hindi
मीराबाई का जन्म कब और कहाँ हुआ था?(When and where was Meera Bai born?)
मीराबाई का जन्म 1498 ईस्वी को कुर्की में हुआ था।
मीराबाई के पति का नाम क्या था?(What was the name of Meera Bai’s husband?)
मीराबाई के पति का नाम राणा भोज राज सिंह था।
मीराबाई भगवान कृष्ण की पूजा कैसे किया करती थी? (How did Meera Bai used to worship Lord Krishna?)
मीराबाई प्रतिदिन सारा काम निबटाकर श्रीकृष्ण के मंदिर में जाने लगीं। उन्होंने श्रीकृष्ण की पूजा की और अपनी सुरीली आवाज में भजन गाए।
मीराबाई अपने पिछले जन्म में कौन थी व उनका नाम क्या था? (Who was Meera Bai in her previous birth and what was her name?)
ऐसा कहा जाता है कि मीराबाई अपने पिछले जन्म में भगवान कृष्ण की अनुयायी थीं। उस समय उनका नाम ललिता बताया जाता है। कलयुग में उनका फिर से मीराबाई के रूप में जन्म हुआ। ऐसा कहा जाता है कि उन्हें भगवान कृष्ण के साथ पिछले जन्म में जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति नहीं मिली थी, इसलिए उन्होंने फिर से मीराबाई के रूप में जन्म लिया।
क्या मीराबाई को एक हिन्दू कवयित्री कहना उचित है? (Is it correct to call Meera Bai a Hindu poetess?)
जी हाँ, मीरा जिन्हें मीराबाई के नाम से जाना जाता है और संत मीराबाई के रूप में सम्मानित, सोलहवीं शताब्दी की हिंदू रहस्यवादी कवयित्री और कृष्ण की भक्त थीं। वह विशेष रूप से उत्तर भारतीय हिंदू परंपरा में एक प्रसिद्ध कवियत्री व संत हैं।
Final Words
दोस्तों हम आशा करते हैं हमारे इस आर्टिकल Biography of Meera Bai in Hindi से आपको मीराबाई का जीवन परिचय समझ आ गया होगा जिससे आप मीराबाई के जीवन परिचय को समझ गए होंगे और जान पाए होंगे कि मीराबाई एक कवयित्री और भक्ति गायिका थीं, जो 16वीं शताब्दी के दौरान भारत में रहीं। लेकिन यदि आपके पास इससे सम्बंधित कुछ सुझाव या सवाल है तो आप कमेंट बॉक्स में अपनी राय दे सकते हैं और साथ ही इसी तरह की जानकारी व मजेदार ब्लॉग्स और पढ़ने के लिए हमारे इस पेज से जुड़े रहें, धन्यवाद।
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